The Central Government should provide adequate compensation to the ryots for land acquisition: Dr. Rameshwar Oraon

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    ओमप्रकाश मिश्र

    रांची. राज्य के वित्त और खाद्य आपूर्ति मंत्री  (State Finance and Food Supplies Minister) डॉ. रामेश्वर उरांव (Dr. Rameshwar Oraon) ने सड़क और अन्य परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने वाले केंद्र सरकार (Central Government) के अधिकारियों को सलाह दी है कि वे रैयत से जमीन लेने के पहले कानून को ठीक से पढ़े और उसका अक्षरशः पालन करें। आवश्यक परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए रैयतों को समुचित मुआवजा प्रदान करें।  डॉ. उरांव आज बेड़ो में एनएच-23 सड़क चौड़ीकरण और बाईपास के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए कम मुआवजा मिलने के खिलाफ कांग्रेसी नेता सन्नी टोप्पो के नेतृत्व में आहूत जनसभा को संबोधित कर रहे थे। 

    डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि वे यहां किसी को भड़काने या उकासने के लिए नहीं आए है, बल्कि 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून के बारे में जानकारी देने आए है। उन्होंने कहा कि इस कानून में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार की ओर से यदि सड़क, खनन और अन्य जनउपयोगी कार्यां के लिए जमीन अधिग्रहण की जाती है, तो सड़क के किनारे की जमीन की कीमत बाजार दर से चार गुना अधिक मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। 

    उन्होंने कहा कि यह आदिवाशी क्षेत्र में  भूमी अधिग्रहण के लिए कई नियमों का पालन जरूरी है, भूमि अधिग्रहण के पहले ग्राम सभा की अनुमति जरूरी है। इन सारे नियमों का पालन करने के बाद ही जमीन अधिग्रहण होना चाहिए। लेकिन उन्हें यह जानकारी मिली है कि बेड़ो में एनएच चौड़ीकरण और बाईपास के लिए जो जमीन अधिग्रहित की गयी है उसके एवज में दिया गया  मुआवजा  बहुत  कम है। उरांव ने कहा कि हजारीबाग में उनकी पत्नी के नाम पर 25 डिसमिल जमीन थी, उसके एवज में उन्हें 57 लाख रुपये का मुआवजा मिला।

    हक और अधिकार के लिए संघर्ष करने की जरूरत

    इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार कई जगहों पर जमीन हड़पने के लिए लगातार कुचक्र रच रही है। पहले इस कानून में ही बदलाव का प्रयास किया गया, लेकिन उसमें विफल होने के बाद तरह-तरह के षड़यंत्र किए जा रहे है, इसके कारण देशभर के किसान आंदोलरत है और अब यहां के रैयतों को भी अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष करने की जरूरत है। 

    खेतीबारी कर सभी जीवन यापन कर रहे है

    इस मौके पर आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सन्नी टोप्पो ने कहा कि एनएच-23 सड़क चौड़ीकरण पलता से गुमला पथ सेक्शन में बेड़ो प्रखंड में जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है, जिसमें जरिया, पुरियो, बेड़ो, बरीडीह, नगड़ी, ईटा, चिल्दरी, चैरमा, कदोजोरा, हाठु लमकाना और असरो मौजा में 2000 रुपये से लेकर 18 हजार रुपये प्रति डिसमिल का  मुआवजा को लेकर नोटिस दिया गया है, जो ग्रामीणों को मंजूर है। यहां अभी जमीन का बाजार दर 3 से 4 लाख प्रति डिसमिल है और बाजार दर से चार गुना अधिक दर पर मुआवजा मिलना चाहिए, जब तक उचित मुआवजा नहीं दिया जाता है, तब तक रैयत अपनी जमीन नहीं देंगे,क्योंकि ग्रामीणों के पास जमीन सीमित है और इसी पर खेतीबारी कर सभी जीवन यापन कर रहे है।