
ओमप्रकाश मिश्र
रांची. मानसून सत्र में नमाज कक्ष आवंटन (Allocation) से लेकर कार्य स्थगन नहीं पढ़ने जैसे कई मुद्दों पर भाजपा (BJP) द्वारा स्पीकर की कार्यशैली पर उठाए गए सवालों से झारखंड विधानसभा अध्यक्ष (Jharkhand Assembly Speaker) रविन्द्र महतो (Ravindra Mahtole) ने सोशल मिडिया (Social Media) पर अपना दर्द साझा किया है।
झारखंड विधानसभा का हंगामेदार मानसून सत्र समाप्त होने के लगभग एक सप्ताह बाद सोशल मीडिया पर महतो का दर्द छलका है। उन्होंने कई मुद्दों पर अपने मन की बात लिखी है। रविन्द्र नाथ महतो ने लिखा है कि आसन पर आक्षेप लगाना सही नहीं है। आसन की उम्र बहुत लंबी है। उन्होंने लिखा है कि अध्यक्ष की भूमिका संरक्षक की होती है, जो सभी सदस्य को साथ लेकर चलता है। इस दौरान कोई संसदीय मर्यादा का उल्लंघन करता है तो उसे कभी-कभी नजरअंदाज भी करता है। उन्होंने यह भी कहा है कि कभी-कभी सदन में सदस्यों के मन में जनता की भावना इतनी प्रबल होती है कि वे आवेश में बोलते भी हैं। मगर आसन उनकी भावना को समझते हुए उन्हें शांत करने की कोशिश करता है और हमलोग बर्दाश्त करते हैं। किसी का नाम लिए बिना उन्होंने लिखा है कि मैंने उन्हें नियमावली भी दे दी है कि कैसे और किस तरह से सदन में समस्या उठाई जाती है।
स्पीकर पर गंभीर आरोप
नियम संचालन विधि के बारे में भी उन्हें बताया, इसके बावजूद वो संतुष्ट नहीं हुए और वो समस्या उठाना चाह रहे थे। जनता की गाढ़ी कमाई का फल नहीं निकलता है रविन्द्र नाथ महतो ने लिखा है कि तकलीफ हमें इस बात की है कि जनता की गाढ़ी कमाई से सत्र आहुत कि जाती है मगर कोई परिणाम (फलाफल) नहीं निकला। इस बार 4 दिनों का मानसून सत्र हंगामें की भेंट चढ़ गया था। एक दिन भी सदन की कार्यवाही सही से संचालित नहीं हो सकी थी। अमर बाउरी ने लगाए थे गंभीर आरोप विधानसभा सत्र के आखिरी दिन अमर बाउरी रोते हुए विधानसभा से निकले थे। स्पीकर पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि दलित समुदाय से आता हूं, इसलिए स्पीकर ने उनका कार्य स्थगन प्रस्ताव नहीं पढ़ा। उन्होंने नोटिस तक नहीं किया। सीधा खारिज कर दिया। उन्होंने कहा था कि आसन कभी इस तरह से व्यवहार नहीं करता है, जिस तरह से पक्षपाती व्यवहार उनके साथ किया गया है। जो दु:खद है।