TMC infighting, dissatisfaction rising before Assembly elections in Bengal
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    नई दिल्ली: गोवा में इस साल फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 47.54 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद अपना खाता तक नहीं खोल पाई। वहीं, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में सत्ता बरकरार रखने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनाव में 17.75 करोड़ रुपये खर्च किए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने गोवा चुनाव में लगभग 3.5 करोड़ रुपये खर्च किए।

    आप ने लगातार दूसरी बार गोवा विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की।  संबंधित राजनीतिक दलों ने हाल में निर्वाचन आयोग को चुनावी खर्च का विवरण दिया है। भाजपा को सत्ता से हटाने की उम्मीद करने वाली कांग्रेस ने चुनाव में करीब 12 करोड़ रुपये खर्च किए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने इस चुनाव में 11 उम्मीदवार खड़े किए थे, जिन्हें उसने चुनाव के लिए 25-25 लाख रुपये दिए। इसके अलावा प्रचार अभियान में पार्टी के केंद्रीय कोष से पैसे खर्च किए गए। शिवसेना ने चुनाव में 10 उम्मीदवार उतारे थे, जिनपर लगभग 92 लाख रुपए खर्च किए गए। 

    गोवा में पार्टी का जनाधार बढ़ाने की संभावना तलाशने वाली तृणमूल कांग्रेस खास रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर राज्य में पार्टी को मजबूत बनाने के प्रयासों के तहत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। पार्टी ने चुनाव में 23 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी सीट पर उसे जीत हासिल नहीं हुई, जबकि उसकी सहयोगी महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी (एमजीपी) ने 13 उम्मीदवार उतारे और दो सीट पर उसे जीत हासिल हुई। ‘आप’ ने 39 उम्मीदवार उतारे।

    पार्टी ने दो सीट पर जीत हासिल कर अपना खाता खोला। भाजपा ने 40 सदस्यीय विधानसभा में 20 सीट पर जीत हासिल की और एमजीपी के दो व तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। कांग्रेस को 11 सीट पर जीत मिली थी, लेकिन इस महीने की शुरुआत में नेता प्रतिपक्ष माइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत समेत आठ विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। (एजेंसी )