FDR Technology

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    लखनऊ: उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) में अपनाई जा रही एफडीआर तकनीक (FDR Technology) देश और उत्तर प्रदेश के लिए तकनीक वरदान साबित होगी। पीएमजीएसवाई की सड़कों के निर्माण में इस तकनीक के बहुत ही उत्साहजनक परिणाम निखर कर सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पीएमजीएसवाई के तहत स्वीकृत सड़कों के निर्माण में लगभग 3000 करोड़ रुपए की बचत होगी। 

    मौर्य गन्ना संस्थान में यूपीआरआरडीए के सभागार में एफडीआर तकनीक पर आधारित अंतर्राज्यीय कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला में देश के लगभग दो दर्जन प्रदेशों के टेक्नोक्रेट, तकनीकी विशेषज्ञ और सड़कों से जुड़े अभियंता भाग ले रहे हैं ,यही नहीं इन प्रदेशों के प्रतिनिधि और तकनीक विशेषज्ञ उत्तर प्रदेश में एफडीआर तकनीक से बनाई गई सड़कों का स्थलीय अवलोकन भी करेंगे। गौरतलब है कि एफडीआर तकनीक से पीएमजीएसवाई की सड़कों के उच्चीकरण में उत्तर प्रदेश, देश में अगुवाई और नेतृत्व कर रहा है।

    कम लागत में अच्छी, टिकाऊ और मजबूत सड़कें बनाई जा रही

    उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तकनीक के अपनाने से अपेक्षा कम लागत में अच्छी, टिकाऊ और मजबूत सड़कें बनाई जा रही हैं। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी‌ यह तकनीक बहुत ही अनुकूल साबित हो रही है। यही नहीं इस तकनीक के अपनाने से कार्बन उत्सर्जन में भी बहुत कमी हो रही है। मौर्य ने कहा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेज- 3 में उत्तर प्रदेश के लिए 19,000 किलोमीटर का लक्ष्य निर्धारित है। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेज-3 के लिए 14,245 करोड़ रुपए की धनराशि से 2,534 मार्गो ,जिनकी लंबाई 18,770 किलोमीटर है, की स्वीकृति प्रदान की गई है। इन सड़कों के  निर्माण  में  इस तकनीक का प्रयोग किए जाने से लगभग 3000 करोड़ रुपए की बचत होगी। 

     देश के लिए एक उपलब्धि है तकनीक

    उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस तकनीक को अपनाने में उत्तर प्रदेश में अग्रणी भूमिका निभाने और नेतृत्व देने के लिए उत्तर प्रदेश के इस कार्य में लगे सभी अभियंताओं, अधिकारियों को उपमुख्यमंत्री ने बधाई दी और कहा कि इसमें यूपीआरआरडीए के सीईओ भानु चंद्र गोस्वामी की भूमिका नि:संदेह बहुत ही सराहनीय है और उनके शानदार प्रयासों से अन्य प्रदेश भी इस तकनीक को अपनाने में पूरी रुचि दिखा रहे हैं। यह तकनीक प्रदेश के लिए ही नहीं , बल्कि देश के लिए एक उपलब्धि है।

    सार्थक परिणाम सामने आएंगे 

    उन्होंने कहा कि पूरे देश में तीसरे फेज में 1,25,000 किलोमीटर पीएमजीएसवाई की सड़कों बनाई जा रही हैं। अन्य राज्य सरकारें भी इस तकनीक को अपनाने में तीव्र गति से आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस तकनीक को अपनाने के लिए  यह कार्यशाला उपयोगी सिद्ध होगी और इसके सार्थक परिणाम निखर कर सामने आएंगे।

    कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आ रही 

    उन्होंने कहा कि पीएमजीएसवाई की सड़कों  के चयन मे किसानों, विद्यालयों, चिकित्सालयों आदि  का विशेष ध्यान रखा गया है। उत्तर प्रदेश में पहली बार एफडीआर द्वारा पूर्व में बने हुए मार्गों के क्रस्ट में उपलब्ध पुरानी गिट्टी को ही सीमेंट और विशेष प्रकार के आईआरसी एक्रीडेटेड स्टेबलाइजर को विशेष मशीनों से रिक्लेम और मिश्रित करते हुए सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है। एफडीआर मार्गों की डिजाइन और टेस्टिंग आईआईटी/ सीएसआइआर/ एनआईटी से किया जा रहा है। इस तकनीक से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में कमी आ रही है और साथ ही साथ कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आ रही है। इस तकनीक से निर्मित मार्गों के निर्माण में कम लागत में अत्यधिक मजबूत और टिकाऊ सड़कों का निर्माण शीघ्रता से हो रहा है। इसमें सड़कों का निर्माण सामान्य तकनीकी की अपेक्षा जल्दी होता है।

    कई राज्यों को दी गई ट्रेनिंग

    गौरतलब है कि इस तकनीक को अन्य राज्यों में लागू करने के लिए कार्यशाला और फील्ड ट्रेनिंग उत्तर प्रदेश द्वारा बिहार, राजस्थान, त्रिपुरा और मणिपुर को दी जा चुकी है। राज्यमंत्री ग्राम्य विकास विभाग विजय लक्ष्मी गौतम ने कहा कि इस तकनीक को अपना कर उत्तर प्रदेश ,उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। कार्यशाला के संयोजक और यूपीआरआरडीए के सीईओ भानु चंद्र गोस्वामी ने एफडीआर तकनीक के बारे में विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर यूपीआरआरडीए के मुख्य अभियंता, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के निदेशक विजेंद्र कुमार, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के मुख्य अभियंता वीरपाल राजपूत सहित अन्य अधिकारी और विभिन्न प्रांतों के टेक्नोक्रेट और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद रहे।