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    लखनऊ : प्रदेश सरकार (State Government) की ओर से बच्चों (Children) के लिए लागू की गई सतरंगी योजनाएं (Satrangi Schemes) जमीनी स्तर पर रंग लाई हैं। जिसका परिणाम है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य  सर्वेक्षण-5 में यूपी में नवजात शिशु की मृत्यु दर के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई है। एक ओर प्रदेश में बच्चोंज की संक्रमण दर पहले की अपेक्षा बेहतर हुई है वहीं नवजात शिशु की मृत्यु दर में कमी आई है। साल 2017 के पहले और सत्ता  परिवर्तन के बाद प्रदेश में नवजातों की स्थिति में काफी सकारात्मकक बदलाव देखने को मिले हैं। जिसकी गवाही राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य  सर्वेक्षण-5 के आंकड़ें दे रहे हैं।

    राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य  सर्वेक्षण-5 के साल 2020-2021 की रिर्पोट के अनुसार राष्ट्रीय स्तर से ज्याादा यूपी में सुधार हुआ है। नवजात शिशुओं की मृत्यु दर प्रति एक हजार जन्में बच्चों  में से एक साल या उसमें कम उम्र में मृत्यु  और पांच साल से कम में मृत्यु की दर के जारी किए गए आकड़ों में काफी सुधार देखने को मिला है। अगर यूपी की बात करें तो साल 2015-2016 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में नवजात मृत्युल दर (एनएनएमआर) 45.1 प्रतिशत थी तों वहीं 2020-2021 में 35.7 प्रतिशत दर्ज की गई है।

    यूपी में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) वर्तमान समय में 50.4 प्रतिशत है तो वहीं इससे पहले 63.5 प्रतिशत थी। पांच साल के अंदर शिशु मृत्यु) दर 59.8 प्रतिशत है वहीं योगी सरकार से पहले यह 78.1 प्रतिशत थी। प्रदेश में साल 2017 से पहले जहां हजारों की तदाद में नौनिहाल संक्रमण की चपेट में आकर दम तोड़ देते थे पर प्रदेश सरकार की स्वदर्णिम योजनाओं से प्रदेश के बच्चों  के हालात बेहतर हुए हैं। अगर बच्चों में संक्रमण दर की बात करें तो साल 2017 से पहले बच्चों में संक्रमण की दर 15 प्रतिशत थी तो वहीं अब 5.6 प्रतिशत है।