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– राजेश मिश्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में रामनगरी अयोध्या (Ayodhya) को धार्मिक भव्यता और विश्व पटल पर पर्यटन की दृष्टि से एक नई पहचान देने को संकल्पबद्ध मुख्यमंत्री योगी (Chief Minister Yogi) इसके विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। इसी क्रम में योगी सरकार ने नोएडा (Noida) में बनने वाली फ़िल्मसिटी (Filmcity) के निर्माण के लिए ग्लोबल कंसलटेंट (Global Consultant) को नियुक्त करने के बाद अब अयोध्या के विकास के लिए भी ग्लोबल कंसलटेंट की मदद लेने जा रही है। इसके लिए अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी (Ayodhya Development Authority) ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (Expression of Interest) का ग्लोबल टेंडर (Global Tender) निकाला है। अयोध्या में श्री राम एयरपोर्ट (Shri Ram Airport) के लिए जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है और जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी भी मिल जायेगी। इसके अलावा बड़ी होटल कंपनियां और बड़ी संस्थाओं ने अपने हॉलिडे होम्स के लिए राज्य सरकार से जमीन मांगी है।  

अयोध्या में तेजी से पर्यटन सुविधाओं का किया जा रहा विकास 

गौरतलब है कि, राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के साथ अयोध्या में तेजी से पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। इसके तहत अंतरर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन के साथ ही अंतरर्राज्यीय बस स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। अयोध्या में पर्यटकों के लिए अब तक आधा दर्जन से ज्यादा बड़े समूहों ने होटल निर्माण के लिए रुचि दिखाई है। प्रदेश सरकार का पर्यटन विभाग अयोध्या में उच्च स्तरीय गेस्ट हाउस का निर्माण करा रहा है। अयोध्या में राम की जलसमाधि स्थल गुप्तार घाट से लेकर राम जन्मभूमि तक इच्छवाकुपुरी के नाम से आध्यत्मिक नगरी बसाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

ग्लोबल कंसलटेंट चयन के लिए जारी हुआ टेंडर

अयोध्या के विकास का प्रारूप तैयार करने के लिए अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी ने ग्लोबल कंसलटेंट के चयन के लिए गुरुवार को टेंडर जारी कर दिया। अब 22 जनवरी तक ऑनलाइन टेंडर डाला जा सकेगा। मिली जानकारी के अनुसार इस टेंडर में वही संस्था भाग ले सकेगी, जोकि कम से कम एक प्रोजेक्ट विदेश में पूरा कर चुकी हो और उसका पूरा सेटअप भी भारत में हो। टेंडर में चयनित कंपनी अयोध्या के विकास का दो मॉडल तैयार करेगी। जिसमें पहला 35 वर्ग किमी में रामनगरी के विकास का खाका होगा दूसरे पार्ट में 195 वर्ग किमी के दायरे में शामिल 84 कोस के धार्मिक स्थलों को विकसित करने की रूपरेखा तय होगी।  

वैदिक और स्मार्ट सिटी के रूप में होगा नव्य अयोध्या का करने जा रही निर्माण 

बताते चलें कि, योगी सरकार वैदिक और स्मार्ट सिटी के मॉडल के रूप में करीब 749 एकड़ भूमि पर नव्य अयोध्या का निर्माण कराने जा रही है। यह जमीन लखनऊ-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर है। यह जमीन लखनऊ से गोरखपुर जाते समय दाहिने ओर सरयू के किनारे निर्मित बंधे के बीचो बीच और प्रस्तावित श्रीराम की प्रतिमा के लिए अधिसूचित भूमि से लगी हुई है। यहां पर कोरिया समेत पांच देशों और 25 राज्यों के लिए अतिथि गृह, अलग-अलग धर्मों, संप्रदायों और आश्रमों, मठों और स्वयंसेवी संगठनों के लिए भी करीब 100 भूखंड आरक्षित किए जाएंगे। इन्हीं राज्यों के अतिथिगृहों में ओडीओपी के शोकेस लगवाने की योजना है। उम्मीद है कि यूपी की खूबी और इसकी हस्तशिल्प की परंपरा देश-दुनिया के पर्यटकों को पसंद आएगी।  

अवधपुरी में ‘इक्ष्वाकु नगरी’ के नाम से एक नई अयोध्या बसाने का काम जारी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राममन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद से ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवधपुरी में ‘इक्ष्वाकु नगरी’ के नाम से एक नई अयोध्या बसाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। योगी आदित्यनाथ सरकार अयोध्या में ‘इक्ष्वाकुपुरी’ कुछ ऐसे ही विकसित करने की तैयारी है, जैसा कि त्रेतायुग के बारे में पौराणिक कथाओं में पढ़ा-सुना जाता रहा है। अयोध्या को एक वैदिक शहर के तौर पर विकसित करने की कार्य योजना पर काम कर रही सरकार ने कम्बोडिया के अंगकोरवाट मंदिर की तरह अयोध्या में सरयू किनारे इक्ष्वाकुपुरी बसाने का खाका तैयार किया जिसपर काम जारी है। इस नये आध्यात्मिक, सांस्कृतिक शहर का एक किनारा पौराणिक गुप्तार घाट होगा।

राम मंदिर निर्माण के बाद से ही अयोध्या के विकास के लिए योगी सरकार ने समानान्तर चार योजनाएं बनाई

राम मंदिर निर्माण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही अयोध्या के विकास के लिए समानान्तर चार योजनाएं बनाई गयी हैं। सरकार ने अयोध्या में सरयू नदी के किनारे इक्ष्वाकुवंश के प्रतापी राजाओं, मनु, इक्ष्वाकु, मान्धाता, रघु, हरिश्चंद्र, दिलीप, भगीरथ, अज, दशरथ के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व से जनमानस को परिचित कराने के लिए इच्छवाकुपुरी योजना पर काम शुरू कर दिया है। इक्ष्वाकुपुरी में वेद-उपनिषद, ब्राह्मण ग्रंथों के महत्वपूर्ण विषयों का ऑडियो-विजुअल चित्रण होगा। नई अयोध्या का केन्द्र बिंदु राम जन्मभूमि पर बनने वाला मंदिर होगा। नई अयोध्या में रामायणकालीन सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक इतिहास को विभिन्न माध्यमों से नए संदर्भों में पेश किया जाएगा। इसके लिए शोध केन्द्र, ऑडिटोरियम, गुरुकुल आदि बनाए जाएंगे। मान्यता है कि सरयू का पथ प्रवाह प्राचीन अयोध्या का भौगोलिक निधार्रण करता है।

श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए सरयू बनेगी आकर्षण का केंद्र 

अयोध्या में गुप्तारघाट से ब्रह्मकुंड गुरुद्वारे तक सरयू नदी के किनारे इक्ष्वाकुपुरी नाम से ग्रीन सिटी बसाई जानी है। सरकार का मानना है कि धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से अयोध्या में वह संभावना है कि हिंदुओं की आस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकसित हो सके। इक्ष्वाकुपुरी के रूप में सरयू के तट पर एक आध्यात्मिक-सांस्कृतिक नगरी की स्थापना विश्वभर के श्रद्धालु व पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है। इक्ष्वाकुपुरी का विकास पूर्व एशियाई हिंदू वास्तुशैली और भारत की तीनों मंदिर वास्तुशैली (नागर, द्रविड़ और बेसर) के मिश्रण से किया जाएगा। भवन निर्माण की अन्य प्राचीन शैलियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।  

अयोध्या के गुप्तार घाट से ब्रह्मकुंड गुरुद्वारे तक सरयू नदी के किनारे के पूरे क्षेत्र को इक्ष्वाकुपुरी ग्रीन सिटी के तौर पर विकसित करने की योजना है। इक्ष्वाकुपुरी में इक्ष्वाकु वंश के राजाओं, खासतौर पर राम के जीवन से जुड़ी घटनाओं और राम की कीर्ति के प्रभाव से वैश्विक स्तर पर उनकी उपस्थिति से जुड़े ऐतिहासिक चित्र, लघु फिल्मों, डाक्यूमेंट्री, डिजिटल किताबों आदि का प्रदर्शन किया जाएगा। इक्ष्वाकुपुरी में आधुनिकता, वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता का संगम होगा। प्रभु श्रीराम में आस्था रखने वालों में भारत समेत 100 से ज्यादा देशों के निवासी है। इक्ष्वाकुपुरी में पूर्व एशियाई हिन्दू वास्तु शैली और भारत की मंदिर निर्माण की नागर, द्रविड़ और बेसर शैली का साझा प्रयोग होगा।