-राजेश मिश्र
लखनऊ: राज्यसभा चुनावों में एक अनार सौ बीमार की दशा से जूझने के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के सामने विधान परिषद चुनावों ( Legislative Council Elections) में भी यही संकट खड़ा हो गया है। उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है विधायकों की संख्याबल के आधार पर सपा के चार प्रत्याशी जीतने की स्थिति में। इन चार सीटों के लिए सपा को अपनों के साथ ही सहयोगी दलों की आकांक्षाओं से भी जूझना पड़ रहा है।
बुधवार को अखिलेश यादव पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान से मिलने के लिए दिल्ली के गंगाराम अस्पताल गए और वहां करीब तीन घंटे तक साथ रहे। इस दौरान अखिलेश ने विधान परिषद चुनावों को लेकर पार्टी नेताओं की आतुरता के बारे में आजम खान को बताया कि कैसे सहयोगी दल विधान परिषद में जाने के लिए उन पर दबाव बना रहे हैं। इसके साथ ही अखिलेश ने आजमगढ़ और रामपुर संसदीय सीटों पर होने वाले उपचुनावों में संभावित प्रत्याशियों पर भी चर्चा की।
आजमगढ़ से डिंपल यादव को मिल सकता है मौका
माना जा रहा है कि इसी सप्ताह अखिलेश यादव आजमगढ़ और रामपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के नाम का एलान कर देंगे। जहां अखिलेश यादव आजमगढ़ संसदीय सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव और रामपुर संसदीय सीट से सिदरा खान को चुनाव लड़ाने का मन बना चुके हैं, वहीं विधान परिषद के प्रत्याशियों को लेकर उहापोह में हैं। सिदरा खान आजम खान के बड़े बेटे आदीब खान की पत्नी हैं।
विधान परिषद की 13 सीटों पर 20 जून को चुनाव
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की कुल 100 सीटें है। जिनमें से 13 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल छह जुलाई को समाप्त होने वाला है। जिसके चलते विधान परिषद की इन 13 सीटों पर 20 जून को चुनाव होना है। जिसके लिए नामांकन 2 से 9 जून तक दाखिल किए जाएंगे, 10 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 13 जून तक उम्मीदवार अपने नाम वापस ले सकेंगे।
सपा से हैं कई दावेदार
इन चुनावों के लिए सपा कोटे से विधान परिषद सदस्य बनने के लिए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर इमरान मसूद और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे तक दावेदारी के लिए लाइन में हैं। वहीं, दूसरी तरफ अखिलेश यादव के करीबी सुनील साजन से लेकर संजय लाठर और उदयवीर जैसे और भी कई नेता भी विधान परिषद सदस्य बनने को आतुर हैं। राम गोविन्द चौधरी, राम आसरे विश्वकर्मा और नदीम फारुकी भी विधान परिषद जाने की मंशा रखते हैं।
सपा की हालत एक अनार सौ बीमार वाली बनी हुई है
इस तरह विधान परिषद चुनाव में सपा की हालत एक अनार सौ बीमार वाली बनी हुई है। अब देखना होगा कि अखिलेश यादव विधान परिषद चुनाव में क्या राज्यसभा की तरह ही सहयोगी दलों को भी साधने फॉर्मूला आजमाएंगे या फिर अपनों को ही उपकृत करेंगे। हालांकि यूपी की सियासत में उन्हें ओम प्रकाश राजभर और स्वामी प्रसाद की जरूरत जयंत चौधरी की तरह ही है। गठबंधन राजनीति की मजबूती के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य और ओम प्रकाश राजभर की बात मानना उनके लिए मजबूरी हो सकती है।