akhilesh yadav

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-राजेश मिश्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने गंगा एक्सप्रेस-वे (Ganga Expressway) के बहाने उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) और भारतीय जनता पार्टी सरकार (BJP) पर हमला बोला है। मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट (Uttar Pradesh Assembly Budget Session) पर हो रही चर्चा में बोलते हुए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया ने कहा कि क्या अब तय समय में गंगा एक्सप्रेस बन पाएगा। उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिसे गंगा एक्सप्रेस-वे बनाने का काम दिया उसके साथ नहीं खड़ी हो पा रही है। 

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित देश के सबसे बड़े गंगा एक्सप्रेस-वे को बनाने का काम अडानी समूह को दिया गया है। अखिलेश यादव ने कहा कि निवेशक सम्मेलन में सभी उद्योगपित तो आए पर सरकार के मित्र नहीं आए। उन्होंने कहा कि मित्र की पहचान तब होती है जब बुरा वक्त आता है लिहाजा उन्हें बुलाना चाहिए। हाल ही में संपन्न वैश्विक निवेशक सम्मेलन में अडानी समूह के प्रतिनिधि नहीं आए थे। नेता विपक्ष ने कहा कि एक रिपोर्ट ने दूसरे नंबर से कहां पहुंचा दिया कोई नहीं जानता है। उन्होंने सवाल किया कि दिल्ली वालों ने प्रदेश को किस एक्सप्रेस-वे के लिए बजट दिया और गंगा एक्सप्रेस-वे से अब वित्त मंत्री कैसे लखनऊ आएंगे।

मुख्यमंत्री योगी को अपना आर्थिक सलाहकार बदल देना चाहिए

योगी सरकार के उत्तर प्रदेश के एक ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था बनने के दावे पर सपा प्रमुख ने कहा कि अभी जो विकास की दर है उससे कहां पहुंचेंगे। उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि 2017-18 और 200-21 में औसत वृद्धि दर 7.8 फीसदी थी जो सपा सरकार के समय के मुकाबले 5 फीसदी कम है। उन्होंने कहा कि एक ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था के लिए 34 फीसदी की वृद्धि दर चाहिए जो कैसे संभव होगी। अखिलेश यादव के कहा कि मुख्यमंत्री योगी को अपना आर्थिक सलाहकार बदल देना चाहिए। सलाहकार डेटा मैनेज करने के लिए एक कंपनी को 200 करोड़ रुपए दे रहे हैं पर छह साल में नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि आर्थिक सलाहकार फेल साबित हुए हैं।

योगी सरकार पर साधा जमकर निशाना

उत्तर प्रदेश सरकार के सालाना बजट पर सवाल उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इसमें किसानों का आय दोगुनी करने का कोई विचार नहीं दिखता है। नीति आयोग की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश कहां खड़ा है ये देखना चाहिए। आयोग के मुताबिक, क्वालिटी एजुकेशन में यूपी 18 वें स्थान पर तो असमानता में कमी के मामले में 28 वें स्थान पर है। गन्ने पर गुमराह किया गया और बकाया नहीं बताया गया। रोजगार की दर बतानी चाहिए, जबकि 2017 के 2022 के बीच इसमें गिरावट आयी है। नौजवान हताश है पर विभागों में खाली पड़ी नौकरी सरकार कब देगी। एमएसएमई सबसे ज्यादा नौकरी देती है पर उसके लिए क्या किया गया। खेती पर उन्होंने कहा कि आलू की फसल चौपट हो गयी है और राष्ट्रीय स्तर से भी नीचे है यूपी की कृषि विकास दर। उन्होंने विभिन्न विभागों में बजट के पूरा खर्च न हो पाने को लेकर भी सरकार पर सवाल खड़े किए।

जातीय जनगणना जरूरी है, तभी सुनवाई होगी

अपने संबोधन के दौरान सपा प्रमुख ने सदन में मौजूद विपक्ष के सभी सदस्यों से जातीय जनगणना के लिए सहयोग भी मांगा। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना ज़रूरी है तभी सुनवाई होगी। उन्होंने कहा  बहुत सारे सदस्य जातीय जनगणना चाहते हैं, तभी सबका साथ सबका विकास होगा। अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार में 55 लाख महिलाओं को समाजवादी पेंशन दी जाती थी। उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने जातीय आबादी के हिसाब से समाजवादी पेन्शन दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सही बताया था और कहा था इस से अच्छी योजना नही हो सकती। उन्होंने यूपी पीसीएस में सपा कार्यकाल में हुए चयन को लेकर कहा कि 56 एसडीएम  मामले में सीएम से स्लिप ऑफ़ टंग हुआ था। उनका कहना था कि मुझे उम्मीद थी नेता सदन सूची टेबिल करेंगें। 

आंकड़ें बताकर दी जानकारी

सपा प्रमुख ने कहा कि वह कौन किस बिरादरी से थे, अगर अनुमति हो तो बता देता हूं। अखिलेश ने कहा कि 2011 में आरोप लगा था,  46 में 56 यादव की बात की गई, जबकि 30 भर्ती हुई थी, यादव सिर्फ़ 5 थे। इसी तरह 2012 में यादव 4 एसडीएम, 2013 में  6 एसडीएम और 2015  में 3 यादव एसडीएम थे। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए, तभी बराबरी का सम्मान मिलेगा। उन्होंने सरकार से कहा कि आप जातीय जनगणना के ख़िलाफ़ हैं, अखिलेश यादव ने कहा हम विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों का भी जातीय जनगणना पर सहयोग चाहते हैं।