akhilesh
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    लखनऊ. समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य कर्मचारियों की बंद हो चुकी पुरानी पेंशन को बहाल करने और यश भारती पुरस्कार को दोबारा शुरू करने का वादा किया। अपने छोटे भाई प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव के बाद एक अन्य रिश्तेदार के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा, ”भाजपा कम से कम हमारे परिवारवाद को तो खत्म कर रही है, इसके लिए उसे धन्यवाद।”

    यादव ने बृहस्पतिवार को एक पत्रकार वार्ता में कहा, ”समाजवादी पार्टी ने फैसला लिया है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार बनने पर पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली होगी। इस बात को समाजवादी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि सपा व सहयोगियों की सरकार आने पर ‘यशभारती सम्मान’ दोबारा बहाल किया जाएगा।

    सपा नेता ने कहा कि नगरों में ‘नगर-भारती’ सम्मान-पत्र उत्कृष्ट समाजसेवियों, साहित्यकारों, पत्रकारों, कलाकारों, खिलाड़ियों व नौकरी-रोज़गार सृजित करनेवाले उद्यमियों तथा पेशेवर लोगों को दिये जाएंगे। ज्ञातव्य है कि सरकारी सेवा में नियुक्त शिक्षक, कर्मचारी एवं अधिकारियों को सेवानिवृत्ति होने पर जीवनयापन के लिए मासिक पेंशन दी जाती थी।

    केंद्र की तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी सरकार ने नियमावली बनायी थी, जिसके आधार पर अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षक और कर्मचारियों की मासिक पेंशन की योजना समाप्त की गयी। अखिलेश ने कहा कि कर्मचारी नेताओं और वित्तीय जानकारी रखने वालों के साथ विचार-विमर्श के बाद समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का फैसला किया है।

    उन्होंने कहा, “मैं आज घोषणा करता हूं कि समाजवादी सरकार बनते ही पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर दी जाएगी। इसमें जो भी धनराशि की आवश्यकता होगी उसकी व्यवस्था कर ली जाएगी। इसके अलावा कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की भी व्यवस्था की जाएगी। साथ ही वित्तविहीन शिक्षकों को सम्मानजनक धनराशि प्रदान की जाएगी।”

    इस बीच, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने ‘भाषा’ को बताया कि प्रदेश में वर्तमान में (2005 के बाद) करीब 10 लाख शिक्षक और कर्मचारी कार्यरत हैं जिनको पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।

    संविदा कर्मचारियों के सवाल पर अखिलेश ने कहा, ”आउटसोर्स के जरिए बाबा भीमराव आंबेडकर द्वारा संविधान के तहत दिया जा रहा हक और सम्मान छीना जा रहा है। इस पर समाजवादी पार्टी विचार कर रही है और किस तरीके से फैसला लेगी उसकी घोषणा समाजवादी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में की जाएगी।”

    उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण के रास्ते संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण को समाप्त किया जा रहा है। सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ”भारतीय जनता पार्टी और वे लोग, जो हमारे गरीबों-वंचितों को आरक्षण नहीं देना चाहते, वह यह व्यवस्था लागू कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी हर चीज बेच रही है और यह अगर सरकार में रहे तो एक दिन यह सरकार को ही ‘आउटसोर्स’ कर देंगे।”

    बुधवार को अपर्णा यादव तथा बृहस्पतिवार को प्रमोद गुप्ता के भाजपा में शामिल होने और परिवारवाद के सवाल पर यादव ने कटाक्ष भरे लहजे में कहा, ”भारतीय जनता पार्टी जो हम पर परिवारवाद का आरोप लगाती है। वो कम से कम हमारे परिवारवाद को तो खत्म कर रही है, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।”

    बृहस्पतिवार को विधूना के समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक प्रमोद गुप्ता भाजपा में शामिल हुए हैं। प्रमोद मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के रिश्तेदार बताये जाते हैं।

    अखिलेश ने कहा कि जिस तरह से व्यापक जनाधार वाले नेता भाजपा से अलग हो गए हैं और स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे नेता सपा में शामिल हुए हैं तथा जिस तरह से सपा ने विभिन्न दलों को एक साथ लाया है, भाजपा यह लड़ाई हार गई है और सपा बहुत आगे निकल गयी है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से जुड़े एक सवाल पर सपा अध्यक्ष ने कहा कि वह अपने सम्मान की रक्षा करने में सक्षम नहीं हैं और अपनी जाति के लोगों के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं। (एजेंसी)