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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में उपयोग से बचे रह गए फलों से उम्दा शराब बनायी जाएगी। योगी सरकार (Yogi Government) फलों (Fruits) से वाइन (Wine) के उत्पादन को बढ़ावा देगी। महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक (Nashik) इलाके की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में वाइनरीज का उद्योग फलेगा फूलेगा। इसके लिए प्रदेश में पैदा होने वाले फलों में से उपयोग के बाद बचने वाले 40 फीसदी का इस्तेमाल वाइन के उत्पादन में किया जा सकेगा। वाइन के उत्पादन के लिए प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर में इसकी एक इकाई की स्थापना को मंजूरी दी है। आने वाले समय में प्रदेश में कई अन्य क्षेत्रों में वाइनरी की स्थापना होगी।  

    आबकारी विभाग ने केडी सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को मुजफ्फरनगल में 54,446 लीटर सालाना उत्पादन क्षमता की इकाई की स्थापना के लिए मंजूरी दे दी है। विभाग का कहना है कि इससे न केवल लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि ग्रामीण पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 

    उत्तर प्रदेश के राजस्व में होगा इजाफा

    अपर मुख्य सचिव, आबकारी संजय आर भूसरेड्डी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में वाइनरीज उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा।  उन्होंने बताया कि देश में उत्पादित फलों का 26 फीसदी फल का उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाता है जो रैकिंग के हिसाब से देश में तीसरा स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश में कुल 4.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर फलों की खेती की जाती है और 105.41 लाख टन फलों का सालाना उत्पादन किया जाता है। इन फलों में से 60 फीसदी फलों का सदुपयोग हो जाता है, जबकि 40 फीसदी लगभग 42.15 लाख टन फल खराब हो जाते हैं जिनकी कीमत करीब 4216.40 करोड़ रुपए होती है। वाइनरी उद्योग की स्थापना से बचे हुए फलों का सदुपयोग किया जा सकेगा, जिससे किसानों के आय में वृद्धि होगी, रोजगार सृजन के अवसर मिलने के साथ ही सरकार के राजस्व में इजाफा होगा। 

     कई फलों का यूपी में होता है बहुतायात में उत्पादन 

    अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न भागों खासकर सब ट्रापिकल जोन, मैदानी  और बुन्देलखण्ड क्षेत्र में फलों का उत्पादन होता है।  बुन्देलखण्ड जोन में मुख्य रूप से सहारनपुर, बिजनौर, बरेली, पीलीभीत आदि जिले आते हैं, जिनमें लीची, ग्राफ्टेड मैंगो पाइनेपल केला आदि फल पैदा किये जाते हैं।  बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मुख्य रूप से बेल, लेमन, अमरुद तथा पपीता का उत्पादन किया जाता है। इसी प्रकार सब ट्रापिकल के तहत आने वाले इलाके में बेल, आंवला, अमरूद, पपीता, आम जैसे फलों का उत्तर प्रदेश में बहुतायात में उत्पादन होता है। 

    किसानों को उपज का मिलेगा अच्छा दाम 

    फलों से शराब बनाने को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने इसी साल मार्च में घोषित आबकारी नीति में उत्तर प्रदेश राज्य में उगाये एवं उत्पादन किये जाने वाले सब्जियों, फलों का वाइन के निर्माण में व्यापक इस्तेमाल करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश में दाक्षासवनी की स्थापना के लिए जरुरी संशोधन किया है।  नियमावली के अनुसार प्रदेश में फूलों, सब्जियों, जड़ी बूटियों के रस या गूदे या किसी अन्य फल के रस या गूदे से वाइन का निर्माण किये जाने के लिए इकाई की स्थापना के लिए मंजूरी पाने के लिए संबंधित जिले में आवेदन करने की व्यवस्था है। नियमों के मुताबिक, किसानों के खपत से बचे फलों और फूलों का उपयोग वाइनरीज उद्योग में किया जा सकेगा। इससे किसानों को उपज का अच्छा दाम मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। 

    ग्रामीण पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा

    भूसरेड्डी के मुताबिक, आबकारी विभाग का इरादा छोटे वाइनरीज उद्योग को बढ़ावा देने और बुटिक बाइनरी की स्थापना का है जिससे ग्रामीण पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि वाइनरीज उद्योग की स्थापना में लागत और भूमि का क्षेत्रफल सालाना उत्पादन क्षमता के अनुसार अलग-अलग होती है।  इसमें 10000 लीटर सालाना उत्पादन क्षमता वाले वाइनरी के लिए मशीनरी की स्थापना 2-2.5 करोड़ रुपए की लागत में किया जा सकेगा। वाइनरी उद्योग में किसानों को फलों के सौ फीसदी उपयोग से उनकी आय में काफी वृद्धि करने में मदद मिलेगी।  

    नियमों में किया गया संशोधन

    आबकारी आयुक्त सेथिल पांडियन सी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में वाइनरी नियमावली सबसे पहले 1961 में जारी की गयी थी उसके बाद 1974 में इसमें पहली बार संशोधन किया गया। अब एक बार फिर से इसमें 2022 में वाइनरीज उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत नियमों और प्रतिबन्धों को और अधिक आसान बनाते हुए संशोधित किया गया जिससे प्रदेश में वाइनरीज उद्योग की स्थापना आसान हो गया है।