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    – राजेश मिश्र

    लखनऊ : चुनावी सौगातों की बौछार के बीच अब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में गांवों से लेकर शहरों को बिजली की कटौती से मुक्ति मिलेगी। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) से पहले सभी शहरों और गांवों को भरपूर 24 घंटे बिजली (Electricity) की आपूर्ति की जाएगी। प्रदेश सरकार (State Government) अगले महीने जनवरी से लेकर मार्च अंत तक प्रदेश भर में अनवरत बिजली आपूर्ति की व्यवस्था करने जा रही है।

    नई व्यवस्था के तहत गांवों को भी अब 18 घंटे की जगह 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। गांवों, तहसीलों और शहरों में सभी तरह की बिजली कटौती को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। अनवरत बिजली की आपूर्ति के लिए प्रदेश सरकार अतिरिक्त बिजली की खरीद करेगी।

    24 घंटे की आपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी

    प्रदेश की योगी सरकार बिजली आपूर्ति में बेहतरी के बाद जनता से मिले फीडबैक के आधार पर यह कदम उठाने जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में सभी गांवों में 18 घंटे, बड़े शहरों और जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे और तहसील मुख्यालयों पर 20-22 घंटे बिजली देने का रोस्टर लागू है। बिजली की व्यवस्था को लेकर जनता से मिले बेहतर फीडबैक के बाद अब कटौती रोस्टर को तीन महीनों के लिए खत्म कर 24 घंटे की आपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी।

    एनर्जी एक्सचेंज से यदा कदा ही खरीद करनी पड़ती है

    वर्तमान में स्वंय के उत्पादन गृहों में बनने वाली बिजली और ग्रिड पर बढ़ी उपलब्धता के चलते उत्तर प्रदेश को एनर्जी एक्सचेंज से यदा कदा ही खरीद करनी पड़ती है। कारपोरेशन अधिकारियों का कहना है कि 24 घंटे बिजली की आपूर्ति का आदेश होने की दशा में वर्तमान में एनर्जी एक्सचेंज पर सस्ती बिजली भी उपलब्ध है जिसके चलते अधिक आर्थिक भार भी नही पड़ेगा। इसके अलावा कम से कम तीन महीनों के लिए करार करने पर भी बिजली सस्ती दरों पर मिल जाएगी। प्रदेश सरकार की योजना जनवरी के पहले सप्ताह से सभी गांवों और शहरों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करने की है। 

    प्रदेश में बिजली की मांग 15000 मेगावाट से भी नीचे आ जाएगी

    उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) अधिकारियों का कहना है कि दिसंबर में ठंड शुरु होते ही बिजली की मांग में काफी कमी आई है जो आने वाले दिनों में और घटेगी। इस साल गर्मियों में प्रदेश में बजली की प्रतिबंधित मांग 21000 मेगावाट से भी ज्यादा हो गई थी जबकि नवंबर आते ही यह घटकर 15000 मेगावाट के आसपास आ गई है। कारपोरेशन अधिकारियों का मानना है कि जनवरी में तापमान घटने की दशा में प्रदेश में बिजली की मांग 15000 मेगावाट से भी नीचे आ जाएगी। इस बार बरसात के महीनों में मांग बढ़ने और कोयले की आपूर्ति कम होने के चलते प्रदेश सरकार को एनर्जी एक्सचेंज से खासी मंहगी बिजली खरीदनी पड़ी थी। इन सबके बाद भी प्रदेश में रोस्टर के मुताबिक बिजली की आपूर्ति करने में दिक्कतें पेश आई थीं।