यूपी में जबरदस्त बिजली संकट के बीच केंद्र ने मांगा 9,692 करोड़ रुपए का बकाया

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जारी अभूतपूर्व बिजली संकट (Power Crisis) के बीच केंद्र (Central ) ने अविलंब बकाया भुगतान करने को कहा है। बकाया भुगतान न करने की दशा में प्रदेश में बिजली की आपूर्ति (Power Supply) में व्यवधान आने की चेतावनी के साथ निवेश पर बुरा असर पड़ने की बात कही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने प्रदेश सरकार को पत्र (Letter) लिखकर जेनको और कोल इंडिया (Coal India) का बकाया 9,692 करोड़ रुपए का भुगतान करने को कहा है। इसमें  प्रदेश को बिजली की आपूर्ति करने वाली कंपनी जेनको का बकाया 9,372 करोड़ रुपए है, जबकि कोल इंडिया का 319 करोड़ रुपए बकाया है।

    केंद्रीय ऊर्जा सचिव द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को भेजे पत्र में कहा गया है कि प्रदेश में उत्पादन इकाइयों यानी कि जेनको का कुल बकाया लगभग 9,372 करोड़ रुपए का है और कोल इंडिया का बकाया लगभग 319 करोड़ है जिसका भुगतान अविलंब कराया जाए अन्यथा की स्थिति में प्रदेश में विद्युत आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है और साथ ही भविष्य में उत्तर प्रदेश में ऊर्जा विकास के निवेश पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।  बेतहाशा गर्मी, बढ़ी मांग, कम उत्पादन के चलते उत्तर प्रदेश में इस समय बिजली की जबरदस्त कटौती चल रही है।

    उपभोक्ता परिषद ने की केंद्र के पत्र की निंदा 

    केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इस पत्र के विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद ने आवाज उठाई है। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश साल भर में लगभग 62,000 करोड़ रुपए की बिजली खरीदता है उसके एवज में मात्र यह बकाया 15 फीसदी है। इन हालात में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय का धमकी भरा पत्र उत्तर प्रदेश सरकार को नहीं, बल्कि प्रदेश के 3 करोड़ उपभोक्ताओं को धमकी है। जिस पर ऊर्जा मंत्रालय को तुरंत माफी मांगनी चाहिए। उपभोक्ता परिषद ने केंद्र के इस पत्र की निंदा करते हुए राज्य सलाहकार समिति की बैठक बुलाने की मांग की है जिससे केंद्र के इस अनैतिक दबाव पर निंदा प्रस्ताव पास कराया जा सके।

    मुख्यमंत्री इस मामले पर हस्तक्षेप करें 

    वर्मा ने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय उत्तर प्रदेश में विदेशी कोयला ना खरीद करवा पाने की वजह से अनाप-शनाप दबाव बना रहा है। जहां तक सवाल है उत्पादन इकाइयों के बकाए का तो यह एक सतत प्रक्रिया है बिजली कंपनियां और पावर कारपोरेशन अपने एग्रीमेंट के तहत जिन भी उत्पादन इकाइयों से बिजली की खरीद करता है उनको लगातार भुगतान करता रहता है और भुगतान में देरी पर उसे 12 से 18 फीसदी तक ब्याज भी देना पडता है ऐसे में केंद्र सरकार का बकाया के एवज में विद्युत आपूर्ति में व्यवधान की धमकी देना असंवैधानिक श्रेणी में आता है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में विदेशी कोयला का टेंडर नहीं करा पा रहा है इसलिए वह अपनी खीझ मिटा रहा है प्रदेश के मुख्यमंत्री को अविलंब इस पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए।