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    लखनऊ : उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) के कुशल मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) (पीएमजीएमवाई) फेज-3 में 5500 किमी  निर्माण कार्यों/उच्चीकरण में ‘‘फुल डेप्थ रिक्लेमेशन’’ तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। यूपी आर.आर. डीए (उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण) मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. भानु चन्द गोस्वामी (Dr. Bhanu Chand Goswami) के नेतृत्व में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की देखरेख में एफ.डी.आर तकनीक (FDR Technique) पर पीएमजीएसवाई की सड़कों के उच्चीकरण का ताना बाना बुना गया है।

    डॉ. भानु चन्द गोस्वामी के अनुसार पीएमजीएसवाई फेज-3 में 19 हजार किमी सड़कों का कार्य होना है, जिसमें 14 हजार किमी के टेण्डर हो चुके हैं और लगभग 6 हजार किमी सड़कें कम्प्लीट हो गयी हैं। पीएमजीएसवाई में यूपी स्टेट के लिए रू.14,203.41 करोड़ की धनराशि की स्वीकृति प्रदान की गयी थी, जिसके सापेक्ष रू. 27,44.91 करोड़ की धनराशि व्यय की जा चुकी है।

    60 जिलों में 697 सड़कें जिनकी लंबाई 5500 किमी 

    आपको बताते चलें कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की पहल और सार्थक प्रयासों से उत्तर प्रदेश सरकार के वर्ष 2022-23 के बजट में पीएमजीएसवाई के लिए रू. 7373.71 करोड़ की धनराशि का प्राविधान किया गया है। प्रथम चरण में 9 सड़कों पर एफ. डी. आर तकनीक पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कार्य कराया जा रहा है, जो पूर्णता की ओर है। इस तकनीक के तहत सबसे पहले जनपद चित्रकूट में अर्छा-बरेही कामसिन रोड (17.9 किमी) पर कार्य कराया गया। जिसमे सड़क की चौड़ाई 3 मीटर से बढ़ाकर 5.5 मीटर की गयी है, इसके अतिरिक्त आगरा, प्रयागराज, हमीरपुर, मैनपुरी और झांसी जनपदों में भी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कराये गये और इसके बहुत ही उत्साहजनक, सार्थक और सकारात्मक परिणाम निखर कर आये हैं। इस वर्ष 60 जिलों की 697 सड़कें जिनकी लम्बाई 5500 किमी है। उच्चीकरण/निर्माण एफ. डी. आर तकनीक से कराया जा रहा है, जिसमें 138 कार्य प्रगति पर हैं। 469 कार्यों में टेण्डर /अनुबंध प्रक्रिया पूर्णता की ओर है और 91 कार्य के रिटेण्डर किये गये हैं, विभागीय अधिकारियों को सभी औपचारिकताएं शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। खास बात यह भी है कि इसकी गुणवत्ता की जांच के लिए साइट पर ही बेहद उपयोगी लैब होती है। गुणवत्ता की जांच के लिए जापान से भी तकनीकी सहयोग लिया जा रहा है।

    बेहतर सड़कें-विकसित राष्ट्र

    उपमुख्यमंत्री ने बताया कि देश में पहली बार सबसे पहले उत्तर प्रदेश में एफ. डी. आर तकनीक पर सड़कों के उच्चीकरण का कार्य कराया जा रहा है और यह एक बहुत ही क्रान्तिकारी और अभिनव प्रयोग हुआ है। यह टेक्नोलॉजी, इक्नॉमिक और इन्वायरनमेंटल दृष्टिकोण से बहुत ही मुफीद और जनोपयोगी सिद्ध हो रही है। केशव प्रसाद मौर्य ने विश्वास व्यक्त किया है कि “बेहतर सड़कें-विकसित राष्ट्र” की अवधारणा को एफ. डी. आर तकनीक से नये पंख लगेंगे। साथ ही साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी आने से पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा मिलेगा। इससे पर्यावरण की अनुकूलता और संतुलन के लिए सरकार की कोशिशें और अधिक बलवती होंगी।

    इस तकनीक से बनी सड़कों की लाइफ करीब 15 साल 

    एफ. डी. आर तकनीक के बारे आर. आई. डी के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि इस तकनीकि में पूर्व में बनी सड़क को डिस्मेंटल कर सीमेंट और केमिकल डालकर अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग करते हुए बिना किसी नयी गिट्टी का प्रयोग करे ही सड़कों की चौड़ाई बढ़ाते हुये निर्माण किया जाता है। यानी पुरानी बनी, लेकिन जर्जर सड़क की पुरानी गिट्टी का प्रयोग इस तकनीक में कर लिया जाता है। बेशक इसमें अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक से बनी सड़कों की लाइफ लगभग 15 वर्ष होती है। साथ अन्य सड़कों के निर्माण की अपेक्षा लागत भी लगभग 20 प्रतिशत कम आती है। 

    ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के चीफ इंजीनियर वीरपाल सिंह राजपूत बताते हैं कि इस तकनीक का प्रयोग करने से पूर्व दिल्ली में एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस इस विषय पर बुलाई गई और उसमें कई प्रेजेंटेशन रखे गए। काफी विचार विमर्श के बाद इस तकनीक के सभी पहलुओं पर गहन विचार विमर्श के बाद उत्तर प्रदेश में इस तकनीक को अपनाए जाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा की एफ. डी. आर बेस्ट फोर स्टेट हाईवे जैसी अच्छी और सुंदर और टिकाऊ लगती हैं। इस तकनीक का प्रयोग केवल पीएमजीएसवाई की सड़कों के उच्चीकरण में ही किया जा रहा है। इस तकनीक से नई सड़के नहीं बनाई जा रही हैं।यूपी आर. आर. डीए के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. भानु चन्द गोस्वामी ने बताया कि एफ. डी. आर तकनीक के बारे में स्टेट लेवल पर एक बड़ी कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस तकनीक से बनाई जा रही सड़कों को देखने कई प्रांतों के सड़कों से जुड़े तकनीकी विशेषज्ञ आ चुके हैं। गोस्वामी ने प्रदेश के समस्त मुख्य विकास अधिकारियों से कहा है कि वह इस तरीके की सड़कों को बनाने में जिलों में अपना सकारात्मक सहयोग प्रदान करें। समय से सैंपल भिजवाना सुनिश्चित करें। इसमें 2 दिन ट्रैफिक रोकना पड़ता है। उसके मैनेजमेंट की व्यवस्था तत्समय संबंधित रोड पर की जानी होगी।