-राजेश मिश्र
लखनऊ: वैश्विक निवेशक सम्मेलन (GIS) से पहले ही उत्तर प्रदेश में उर्जा क्षेत्र में निवेश की इच्छुक कंपनियों को झटका लग रहा है। प्रदेश सरकार निविदा (Tender) आमंत्रित करने के दो महीने बाद भी स्मार्ट प्रीपेड मीटरों (Smart Prepaid Meters) की आपूर्ति करने वाली कंपनी का चयन नहीं कर सकी है। बीते दो महीनों से प्रदेश में स्मार्ट मीटर खत्म हैं। प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की कमी के चलते नए बिजली कनेक्शन (New Electricity Connections) देने का काम ठप हो गया है।
सरकार स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की आपूर्ति पर अब तक कोई फैसला नहीं ले सकी है। प्रदेश की चारों बिजली कंपनियों के क्षेत्रों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिए निविदा प्रक्रिया दो महीने से भी ज्यादा समय पहले पूरी की जा चुकी है पर इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है। रविवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम (एमवीवीएनएल) ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया।
नए सिरे से निविदा आमंत्रित करने का फैसला
मध्यांचल के लिए हुई निविदा प्रक्रिया में सबसे कम बोली आडानी समूह ने लगायी थी। हालांकि अडानी समूह की सबसे कम बोली भी केंद्रीय रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन (आरईसी) की ओर से अनुमानित लागत 6,000 रुपए प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर से काफी ज्यादा 10,000 रुपए थी। इसके चलते एमवीवीएनएल ने इसे निरस्त कर नए सिरे से निविदा आमंत्रित करने का फैसला किया है।
नए कनेक्शन देने का काम ठप
उधर, प्रीपेड मीटरों पर कोई फैसला न होने के चलते प्रदेश की चारों बिजली कंपनियों के सामने नए कनेक्शन देने का संकट खड़ा हो गया है। विभागीय नियमों के मुताबिक झुग्गी-झोपड़ी, नजूल की जमीन, सरकारी कालोनियों और अपार्टमेंट में नया बिजली का कनेक्शन केवल स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ दिया जा सकता है। स्मार्ट मीटर की बिलिंग से संबंधित मीटर डेटा मैनेजमेंट सिस्टम का सर्वर भी बीते साल दिसंबर से फुल होने के चलते नए कनेक्शन देने का काम बंद है।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद 25,000 करोड़ रुपए के खर्च पर होनी है
एमवीवीएनएल के अधिकारियों का कहना है कि प्रीपेड मीटर न होने के चलते लंबित कनेक्शन के आवेदनों पर कोई कारवाई संभव नहीं है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश भर में 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद 25,000 करोड़ रुपए के खर्च पर होनी है। इसके लिए मध्यांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने अलग-अलग निविदाएं बीते साल नवंबर में आमंत्रित की थी। चारों क्षेत्रों में जहां दो के लिए सबसे दरें अडानी समूह ने दी थी, वहीं इंटेली स्मार्ट और जीएमआर ने एक-एक के लिए सबसे कम दरें दी थी। रविवार को मध्यांचल की निविदा निरस्त होने बाद अब बाकी के तीन वितरण निगमों को इस संदर्भ में फैसला लेना है।
बिजली की चोरी कम करने की कवायद
अधिकारियों का कहना है कि वितरण हानियों को कम करने और बिजली चोरी रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। मीटरों की आपूर्ति पर कोई फैसला न होने के चलते यह काम पिछड़ रहा है। वहीं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि प्रदेश को छह से आठ हिस्सों में बांट कर निविदा आमंत्रित की जानी चाहिए और इसमें मीटर निर्माता कंपनियों को भी भाग लेने का मौका देना चाहिए।