dussehri mango

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: मानसून में देरी और जबरदस्त गर्मी (Heat) के चलते आमों का राजा दशहरी (Dasheri ) इस बार खास बन कर रह गया है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के खास दशहरी आम का सीजन न केवल कम दिनों का रह गया है, बल्कि कीमतें भी रिकॉर्ड तेजी पर हैं। इस बार दशहरी आम बाजार से पहले के मुकाबले 15 दिन पहले ही गायब हो जाएगा।  खराब मौसम के चलते इस बार दशहरी की फसल कमजोर है, वहीं मानसून (Monsoon) में देरी के चलते इसका सीजन भी घटकर छोटा हो गया है। 

    बागवानों के मुताबिक, इस बार जून के आखिर तक ही दशहरी बाजार से गायब हो जाएगी। सामान्य तौर पर दशहरी बाजार में पहली जून से लेकर 15 जुलाई तक उपलब्ध होती है। बारिश न होने के चलते दशहरी डाल पर ही खराब होने लगी है और इसकी तोड़ाई का काम तेज हो गया है। कमजोर फसल और कीटों का प्रकोप न के बराबर होने के चलते बाजार में दशहरी की कीमत बीते कई सालों के मुकाबले खासी ऊंची है।

    पहली बार दशहरी की कीमत इतनी तेज 

    आम कारोबारियों का कहना है कि बीते दस सालों में पहली बार दशहरी की कीमत इतनी तेज है और आने वाले दिनों में भी इसके काम होने के आसार नहीं हैं। उनके मुताबिक कीट का असर न होने के चलते दशहरी आकार में बड़ी और उम्दा क्वालिटी की उतर रही है पर बाजार की मांग के मुताबिक उत्पादन खासा कम है। इस बार सीजन के पीक में भी खुले बाजार में अच्छी क्लाविलटी की दशहरी की कीमत 60 से 80 रुपए के बीच चल रही है, जबकि निर्यात के लिए आर्डर 100 रुपए किलो या उससे ऊपर के रेट से बुक किए जा रहे हैं।

    विदेशों में भेजा गया दशहरी आम

    उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र काकोरी-मलिहाबाद के कारोबारियों की मानें तो मार्च के आखिर से ही मौसम में गर्मी बढ़ने लगी थी और दशहरी के पकने के समय तक प्री मानसून बारिश भी नहीं हुई। इन कारणों से न केवल फल कम आए, बल्कि उनकी तोड़ाई भी जल्दी करनी पड़ी। इस साल वैसे भी बौर के समय से फसल कमजोर रही थी और बीते साल के मुकाबले आधे से कम उत्पादन हुआ है। मलिहाबाद की नफीस नर्सरी के शबीहुल हसन बताते हैं कि गर्मी और कीटों की मार से बचे दशहरी का साइज शुरु में अच्छा रहा और कीमत भी बढ़िया मिली पर बाद में बारिश न होने से होने पीक सीजन में आकार भी बिगड़ा और जल्दी ही खत्म होने लगा। हसन कहते हैं कि बीते दो सालों के मुकाबले इस बार मई के आखिरी हफ्ते से ही दशहरी मुंबई, दिल्ली जाने लगा और खाड़ी देशों के साथ ही थाईलैंड तक भेजा गया है।

    निर्यात 100 टन के पार जाने की उम्मीद

    गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते बीते साल उत्तर प्रदेश से महज 15 टन आम की निर्यात हो सका था। इससे पहले 2020 में अब तक का सबसे ज्यादा 121 टन और 2019 में 120.77 टन आम का निर्यात हुआ था। इस साल आम का कुल निर्यात 100 टन के पार जाने की उम्मीद लगायी जा रही है। सामान्य वर्षों में उत्तर प्रदेश से आम का सालना कारोबार 2400-2500 करोड़ रुपए का रहता था जो बीते साल कोरोना की भेट चढ़ने के चलते 800 से 1000 करोड़ रुपए के बीच ही रह गया था। इस बार हालांकि पैदावार में 30 से 40 फीसदी की गिरावट है पर दाम अच्छे मिले हैं तो कुल कारोबार ठीक ही रहेगा।