Electricity

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-राजेश मिश्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के तीन करोड़ से ज्यादा बिजली उपभोक्ताओं (Electricity Consumers) को बड़ी राहत (Big Relief) देते हुए इस बार दरें नहीं बढ़ाई गयी हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग (UPSERC) ने वर्तमान वर्ष में बिजली की दरें (Electricity Rates) यथावत रखी हैं। आयोग ने पहली बार ग्रीन एनर्जी के लिए भी अलग से दरे निर्धारित की हैं। इतनी ही नहीं नियामक आयोग ने ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए स्लैब में परिवर्तन करते हुए 300 यूनिट प्रतिमाह से अधिक खर्च करने वाले परिवारों के लिए बिजली दरें घटा भी दी है। नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के क्षेत्र में आने वाले उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें 10 फीसदी कम कर दी गयी हैं। इसका फायदा ग्रेटर नोएडा में रहने वालों को होगा।

नियामक आयोग ने नोएडा पावर कंपनी के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10 फीसदी का रिबेट दिया है। आयोग के आदेश के मुताबिक, 300 यूनिट प्रतिमाह के अधिक का उपयोग करने वाले ग्रामीण उपभोक्ताओं को अब 6 रुपए की जगह 5.50 रुपए प्रति यूनिट देना होगा। नियामक आयोग ने जन सुनवाई के बाद गुरुवार को बिजली दरों का ऐलान करते हुए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। कॉरपोरेशन से संबद्ध सभी वितरण कंपनियों ने बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग के सामने रखा था। 

बिजली कंपनियों ने दरें 18 से 23% बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था

बिजली कंपनियों ने नियाम आयोग के सामने बिजली दरें 18 से 23 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बीते चार सालों से घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें नहीं बढ़ाई गई हैं। नियामक आयोग ने अपने आदेश में सभी बिजली कर्मचारियों को घरेलू उपभोक्ता मानते हुए उनके घरों पर अनिवार्य रुप से मीटर लगाने को कहा हैं। इसके बाद अब बिजली कंपनियों के कर्मचारी फ्री में बिजली का उपभोग नहीं कर सकेंगे। अपने आदेश में नियामक आयोग ने स्मार्ट मीटर पर होने वाले खर्च को खारिज करते हुए कहा है कि बिजली कंपनियां अपनी दक्षता को सुधार कर उसकी भरपाई करें। आयोग ने ट्रांसमीशन टैरिफ 26 पैसे प्रति यूनिट तय किया हैं।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने किया फैसले का स्वागत

आयोग के आदेश का स्वागत करते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां पिछले 4 वर्षों से बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई हैं। वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश की बिजली कंपनियों पर इस बार फिर लगभग 7,988 करोड़ रुपए उपभोक्ताओं का ही सरप्लस निकल आया है। विद्युत नियामक आयोग ने मुआवजा कानून देरी से लागू करने के लिए उसके मद में जो 1,000 करोड़ रुपए पहले अनुमोदित किया था उसमें 50 फीसदी कटौती कर अब केवल 500 करोड़ कर दिया हैं।

स्मार्ट मीटर पर होने वाले खर्च को बिजली कंपनियों करेंगी भरपाई

विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल 92564.89 करोड़ के वार्षिक राजस्व आवश्यकता को ना मानते हुए केवल 86579.51 करोड़ वार्षिक राजस्व आवश्यकता अनुमोदित की गई। साथ ही बिजली कंपनियों द्वारा जो 140.96 विलयन यूनिट की खरीद दिखाई गई थी उसके सापेक्ष 133.45 बिलयन यूनिट की खरीद अनुमोदित की गई हैं। बिजली कंपनियों द्वारा जो वितरण हानियां  14.90 फीसदी मांगी गई थी। विद्युत नियामक आयोग द्वारा केवल 10.30 फीसदी ही माना है। अवधेश वर्मा ने बताया कि उपभोक्ता परिषद की बात को मानते हुए विद्युत नियामक आयोग ने इस स्मार्ट मीटर पर होने वाले खर्च को अस्वीकार कर दिया है और इसकी भरपाई बिजली कंपनियों को करने को कहा है।