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    लखनऊ : गोवंश संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) लगातार प्रयास कर रही है। साढ़े 4 साल में गायों (Cows) के लिए वो अच्छे दिन लेकर आई है। अवैध रूप से गोवंश काटने पर प्रतिबंध लगाया है साथ में गोवंशों की सुरक्षा के लिए पुलिस (Police) भी तत्पर हुई है। गोवंश की तस्करी पर लगी रोक भी बड़ी सफलता साबित हुई है। सरकार ने सभी जनपदों में 2-2 वृहद गोवंश संरक्षण केन्द्रों की स्थापना की है। 278 केन्द्रों के लिए 303,60 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। जबकि आज तक मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता कार्यक्रम में 51,772 गोपालकों को 94,626 गोवंश सुपुर्द किए हैं।

    गोवंशों के लिए सहभागिता योजना के तहत किसान परिवार गोवंश रखते हैं तो (अधिकतम 4 गोवंश) सरकार उसे 900 रुपए दे रही है। हर माह भौतिक सत्यापन का कार्य होता है। सरकार की इस योजना का लाभ बड़ी संख्या में किसानों ने उठाया है। प्रदेश में सत्ता संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गायों के संरक्षण पर प्राथमिकता से काम शुरू किया। उन्होंने गोवंश के संवर्द्धन के लिए पशुपालन और दुग्ध विकास के अलावा अन्य विभागों का भी सहयोग लिया। 

    अवैध बूचड़खानों पर सबसे पहले कार्रवाई शुरू की

    अवैध बूचड़खानों पर सबसे पहले कार्रवाई शुरू की। बूचड़खानों पर कार्रवाई के अलावा गायों की सुरक्षा और संरक्षा पर भी सरकार का खास जोर रहा। 4503 अस्थाई गो आश्रय स्थल बनवाए, 177 कान्हा गोशाला, 408 कांजी हाउस और 189 वृहद गोवंश संरक्षण केंद्रों में गोवंश संरक्षित किए गए। पिछली सरकारों में पिछड़े रहे बुंदेलखंड के 7 जनपदों में 35 पशु आश्रय गृहों का निर्माण कर यहां गोवंश को संरक्षित करने का भी बड़ा काम किया। शहरी क्षेत्रों में सरकार ने 16 नगर निगमों गोशालाओं को 17.52 करोड़ रुपए दिए हैं। जबकि अब तक 52 करोड़ 97 लाख 82 हजार गायों का बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण कराया है।