Artificial Sand

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    लखनऊ: विकास (Development) और निर्माण कार्यों (Construction Works) के लिए बालू (Sand) और मोरम (मौरंग) की बढ़ती मांग को अन्य तरीकों से पूरी किये जाने के लिए वैकल्पिक संसाधनों के प्रयोग को बढ़ावा देने की नीति पर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में गंभीरता से विचार किया जा रहा है। खनिकर्म संसाधनों में वृद्धि प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश में आगामी 100 दिनों में कृत्रिम बालू के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। 

    उत्तर प्रदेश भूतत्व और खनिकर्म विभाग ने निर्णय लिया है कि बालू और मोरम के विकल्प के रूप में एम-सैंड (पत्थरों के क्रशिंग से उत्पन्न कृत्रिम बालू)  को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक शासन का आदेश जारी किए जाएंगे, जिससे बालू की खपत पूरी की जा सके और अवैध बालू खनन में कमी आए।  

    अवैध खनन पर रोक लगाने की कवायद

    विभाग द्वारा आगामी 100 दिनों, 2 वर्षों और 5 वर्षों की कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण देते हुए विभाग द्वारा कहा गया है कि वैध खनन को बढ़ावा देते हुए सस्ते दरों पर उपखनिज उपलब्ध कराना विभाग की प्राथमिकता है। साथ ही, अवैध खनन और परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण करना भी विभाग के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्य है। वर्ष 2017 के पूर्व, बालू और मोरम के खनन पट्टों की संख्या लगभग नगण्य थी और माननीय न्यायालय के आदेश के क्रम में पारदर्शी पट्टा आबंटन नीति बनाई गई। फलस्वरूप, पिछले 5 वर्षों में, ई-निविदा और ई-नीलामी के माध्यम से खनन पत्ते स्वीकृत किए जाने के लिए पारदर्शी खनन नीति-2017 और तत्सम्बंधी नियम बनाए गए। वर्ष 2017 से 2022 तक बालू और मोरम के कुल निष्पादित पट्टों की संख्या  579 पहुंच गई है। 

    यूपी माइन मित्रा का विकास किया गया

    टेक्नॉलजी का समुचित प्रयोग करते हुए देश में पहली बार, उपखनिजों के लिए संयुक्त प्रोग्राम ‘यूपी माइन मित्रा’ का विकास किया गया जिसमे जनपद सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) से लेकर मीनिंग लीज डीड तक की समस्त प्रक्रिया सम्मिलित है। इसी प्रकार अवैध खनन पर नियंत्रण लाने के लिए इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम को लागू किया गया है। आगामी 100 दिनों में तय किए गए लक्ष्यों में प्रमुख हैं खनन व्यवसाय में रिस्क को कम करने के लिए खनन पट्टे की अवधि 5 वर्ष से घटा कर 2 वर्ष किया जाना

    • बालू और मोरम के खनन पट्टों में अनलाइन अग्रिम मासिक किश्त के स्थान पर मास के अंत तक पूर्ण किश्त जमा करने का समय प्रदान किया जाना।
    • आगामी 2 वर्षों में विभाग द्वारा पर्यावरण विभाग के ‘परिवेश’ पोर्टल को खनिज विभाग के ‘माइन मित्रा’ पोर्टल से जोड़ते हुए, “दर्पण” से इन्टीग्रेट किया जाएगा।  

    बुंदेलखंड, पूर्वांचल की प्रमुख नदियों की कराई जाएगी मिनरल मैपिंग

    इसी समयावधि में प्रथम चरण में प्रदेश के बुंदेलखंड और पूर्वांचल की प्रमुख नदियों की तकनीकी संस्था से मिनरल मैपिंग कराकर, नए खनन क्षेत्रों को  जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट में सम्मिलित किया जाएगा। पांच वर्षों की कार्ययोजना में विभाग का लक्ष्य है कि प्रदेश के शेष जनपदों कि भी मिनेरल मैपिंग पूरी की जाए और उपखनिजों के खनन क्षेत्रों की संख्या में दोगुनी वृद्धि की जाए।