अयोध्या में राम मंदिर का आधा निर्माण कार्य पूर्ण हुआ: चंपत राय

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    अयोध्या (उप्र). अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का लगभग आधा काम पूर्ण हो चुका है और अगली मकर संक्रांति तक गर्भगृह में प्रतिमा स्थापित कर दी जाएगी जहां उगते सूरज की किरणें मूर्ति के मस्तक पर पड़ेंगी। मकर संक्रांति पर्व से एक दिन पहले ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ ने शुक्रवार को पत्रकारों को निर्माण की प्रगति का निरीक्षण करने के लिए राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश दिया।

    ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, “पूरा देश मकर संक्रांति का पर्व मना रहा है और सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है और हमने राम मंदिर बनाने के अपने लक्ष्य को आधे से ज्यादा हासिल कर लिया है।”

    उन्होंने कहा कि 2024 में जैसे ही सूर्य ‘मकर राशि’ में प्रवेश करेगा, भगवान राम अपने मूल गर्भगृह में विराजमान होंगे। राय ने कहा कि अब तक मंदिर के भूतल का निर्माण कार्य पचास प्रतिशत के करीब पहुंच चुका है। माना जा रहा है कि इस साल अगस्त तक भगवान श्रीराम के गर्भगृह का भूतल बनकर तैयार हो जाएगा।

    उन्होंने कहा कि जमीन से 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है और 11 फुट की ऊंचाई तक पत्थरों की परत चढ़ाने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि भगवान रामलला के गर्भगृह के भूतल में 170 खंभे होंगे। निर्माण प्रक्रिया में शामिल अभियंताओं के मुताबिक, अगले साल जनवरी तक गर्भगृह का काम पूरा हो जाएगा। राम मंदिर निर्माण कार्य के परियोजना प्रबंधक जगदीश आफले ने कहा कि राम मंदिर निर्माण में दो वास्तुकार सीबी सोमपुरा और जय कार्तिक शामिल हैं।

    आफले ने कहा कि अब तक मंदिर निर्माण का पैंतालीस प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि जनवरी 2024 तक भूतल का काम पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन शीर्ष पर पहुंचने में अभी कम से कम पांच महीने और लगेंगे। राम जन्मभूमि में कल्याण मंडप, अनुष्ठान मंडप और भक्त सुविधा केंद्र का निर्माण कार्य बाकी है।

    आफले ने कहा कि रामलला के गर्भगृह में दो अलग-अलग मूर्तियां विराजमान होंगी और ये ‘चल विग्रह’ और ‘अचल विग्रह’ होंगी। उनके मुताबिक, 1949 की मूर्ति ‘चल विग्रह’, जिसकी आज पूजा की जा रही है, वहां विराजमान होगी। इसके अलावा वहां एक बड़ी मूर्ति भी स्थापित की जाएगी जो ‘अचल विग्रह’ होगी।

    उन्होंने कहा, “हम गर्भगृह को इस तरह से डिजाइन कर रहे हैं कि उगते सूरज की किरणें मूर्तियों के मस्तक पर पड़ें।” वास्तुकारों और अभियंताओं ने इस बात पर खास ध्यान दिया है कि मंदिर एक हजार साल तक सुरक्षित रहे। (एजेंसी)