मैं विकास दुबे हूँ कानपुर वाला…

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लखनऊ: 2020 में देश के अंदर कई बड़ी घटनाएँ और अपराध (Crime) हुए जो कई दिनों तक टीवी चैनलों (TV Channels) और अखबारों (News Paper) की बड़ी सुर्खियाँ बने रहे। इसी क्रम में आज हम एक ऐसे गोली कांड की बात करने वाले हैं जिसने आम जनता (Common People) के साथ सरकारों (Government) को भी हिला दिया। वह एनकाउंटर जिसकी कल्पना जनता ने पहले ही कर ली थी। हम बात कर रहे हैं विकास दुबे एनकाउंटर (Vikas Dubey Encounter) की। आइए जानते हैं आखिर क्यों किया गया यह एनकाउंटर।

क्यों शुरू हुआ यह एनकाउंटर 

दो-तीन जुलाई को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (kanpur) जिले स्थित चौबे थाना अंतर्गत बिकरू गाँव (Bikru Village) में पुलिस उस क्षेत्र के कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने पहुंची थी। जिसका नेतृत्व बिकरू थाने के एसओ देवेंद्र मिश्रा कर रहे थे, उनके साथ तीन थानों की पुलिस भी मौजूद थी। पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले ही पुलिस महकमे में मौजूद अपने मुखबिर से मिली खबर के कारण दुबे सतर्क हो गया। उसने अपने यहां हथियारों सहित साथियों को बुला लिया और तैनात कर दिया। 

जैसे ही पुलिस दुबे के घर पर पहुंची वहां पहले से ही मौजूद दुबे के आदमियों ने हमला बोल दिया। अचानक हुए इस हमले में पुलिस को संभलने का मौका नहीं मिला। इस गोली कांड में  एसओ देवेंद्र मिश्रा के साथ सात अन्य पुलिस वाले शहीद हो गए। सभी को गोलियों और धारदार हथियारों से मौत के घाट उतारा गया। शूटआउट के बाद विकास दुबे अपने साथियों के साथ वहां से फरार हो गया। 

उत्तर प्रदेश सहित देश में मचा हड़कंप 

रात में हुए इस गोली कांड की खबर जैसे ही सामने आई, उत्तर प्रदेश सहित पूरा देश हिल गया। एक साथ आठ पुलिस वालों की हत्या करने का देश में यह पहला मामला था। मामला सामने आने के बाद इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई। विपक्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पर हमलावर हो गई। राज्य में हुई इतनी बड़ी घटना पर मुख्यमंत्री ने तत्काल बैठक बुलाई और अपराधियों को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश दिया। इसी के साथ ही मामले की जांच एसटीएफ से कराने का आदेश दे दिया। 

मामा और भतीजे का हुआ एनकाउंटर 

गोली कांड को देखते हुए राज्य के डीजीपी के निर्देश पर बनाई गई एसटीएफ की टीम बिकरू में तैनात हो गई, साथ ही पूरे राज्य में विकास और उसके साथियों को ढूढ़ने का आदेश दे दिया गया। उसी दिन बिकरू के समीप ही पुलिस ने मुठभेड़ में विकास के मामा प्रेम प्रकाश पांडे और भतीजे अतुल दुबे को मार गिराया। इसी के साथ दुबे और उसके साथियों पर 50  हजार रुपए की इनाम राशि रखी गई।

आईजी समेत 68 पुलिस वालों पर कार्यवाही  

इस मामले पर पुलिस विभाग पर सवाल खड़े हो गए। इतनी गोपनीय ऑपरेशन की जानकारी कैसे दुबे के पास पहुंची इसको लेकर जांच की गई. जिसमें यह सामने आया कि पुलिस के अंदर से मुखबिरी करने की बात सामने आई। यह भी बात सामने आई की चौबेपुर थाने के एसआई विनय तिवारी और विकास दुबे के करीबी संबंध थे। जांच में दोनों के बीच कई बार बात हुई थी. घटना वाले दिन भी दोनों के बीच बात हुई. जिसको देखते हुए विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया।

इसी के साथ शहीद सीओ मिश्रा की चिट्टी पर तिवारी पर कार्यवाही नहीं करने को लेकर तत्कालीन डीआईजी अनंत देव को एसटीएफ डीआईजी के पद से हटाकर उन्हें दूसरी जगह भेजा दिया गया। वहीं चौबेपुर थाने के सभी 68 पुलिस वालों को लाइन हाज़िर कर दिया गया। 

गिराया विकास दुबे का घर 

दुबे ने अपराध में नाम के साथ-साथ खूब धन भी कमाया था। उसने लोगों को धमकाकर जमीनों पर अवैध कब्ज़ा कर लिया था। चार जुलाई को प्रशासन ने विकास दुबे के घर पर बुल्डोज़र चला दिया। इसी के साथ कई गाड़ियों, ट्रेक्टर को तोड़ कर कबाड़ बना दिया। साथ ही पूरी संम्पति को अपने कब्ज़े में ले लिया। वहीं खंडहर बन चुके घर पर कई दिनों तक सर्च ऑपरेशन चालू रहा। 

नौकर को पकड़ा 

पांच जुलाई के दिन पुलिस को दुबे के घर की जांच में एक तहखाना और सुरंग मिली, जिसमें हथियारों और विस्फोटकों का पूरा जखीरा था। उसी दिन विकास दुबे के सबसे करीबी नौकर को गिरफ्तार किया गया। वहीं उसके दूसरे दिन छह जुलाई को पुलिस ने अपराध में मदद करने वाले साढ़ू समेत तीन को भी गिरफ्तार किया। 

पहली बार मिली दुबे के लोकेशन 

बिकरू कांड शूटआउट के चार दिन बीत चुके थे, लेकिन फिर भी विकास दुबे की कोई जानकरी नहीं मिली थी। सात जुलाई को पुलिस को दुबे की पहली लोकेशन मिली। उसके हरियाणा के फ़रीदपुर में छुपे होने की जानकारी मिली। लेकिन पुलिस के पहुंचने के पहले ही वह वहां से भाग निकला। इसी बीच पुलिस ने दुबे के ऊपर इनाम राशि बढ़ाकर ढाई लाख कर दी। 

विकास का करीबी अमर दुबे हुआ ढेर  

पुलिस को मामले में सबसे बड़ी कामयाबी आठ जुलाई को मिलती है। विकास दुबे के बेहद करीबी अमर दुबे को हमीरपुर के पास मुठभेड़ में मारा जाता है। वहीं दूसरे सहयोगी श्याम बाजपेई को चौबेपुर पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार करती है। पुलिस ने विकास पर इनाम राशि बढ़ाकर पांच लाख कर दी। उसी दिन फरीदाबाद से दुबे के अन्य सहयोगी और शूटआउट में शामिल प्रभात, अंकुर और उसके पिता श्रवण को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया। 

प्रभात मिश्रा का एनकाउंटर

उत्तर प्रदेश पुलिस 9 जुलाई की सुबह फ़रीदाबाद से प्रभात को ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर  लेकर आ रही थी, तभी प्रभात ने पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इस दौरान वहां हुई मुठभेड़ में वह मारा गया। वहीं दूसरी तरफ मामले में शामिल बिकरू गांव निवासी प्रवीण उर्फ बउवा को भी पुलिस ने मार गिराया। 

विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तार 

पिछले छह दिन से फरार चल रहे मुख्य आरोपी विकास दुबे को मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वह वहां दर्शन करने पहुंचा था। जब वो दर्शन कर रहा था तो मंदिर में तैनात गार्ड ने उसे पहचान लिया और तत्काल मध्यप्रदेश पुलिस को जानकारी दी। जिसके बाद उसे मंदिर से ही गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान वह जोर-जोर से चिल्ला कर कह रहा था, “मैं विकास दुबे हूँ कानपुर वाला”। 

विकास दुबे का अध्याय हुआ समाप्त 

नौ जुलाई को पुलिस ने देश के मोस्ट वांटेड अपराधी को गिरफ्तार किया, जिसकी जानकारी उत्तर प्रदेश पुलिस को दी गई. उसके पश्च्यात कानपुर पुलिस उसे लेने के लिए उज्जैन पहुंची। लेकिन रात होने की वजह से सुबह निकलने का निर्णय लिया गया। 10 जुलाई को सुबह चार बजे एसटीएफ सड़क के रास्ते दुबे को लेकर निकली। पुलिस का काफिला जैसे ही उत्तर प्रदेश सीमा में प्रवेश करता है उसके कुछ देर बाद ही विकास दुबे की गाड़ी दुर्घटना ग्रस्त हो जाती है। इसके बाद विकास पुलिस का हथियार छीनकर गोली चलाते हुए भागने लगता है, इसी दौरान जवाबी कार्यवाही में वह गोली लगने से मारा जाता है।