PM KASHI

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ : वाराणसी (Varanasi) में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट (Dream Project) भव्य काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi-Viswanath Corridor )के पहले चरण का सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने लोकापर्ण किया। विधानसभा चुनावों के ठीक पहले हुए इस लोकापर्ण में वैसे तो प्रधानमंत्री ने राजनैतिक बयानबाजी से परहेज किया पर अपरोक्ष रुप से औरंगजेब, सैय्यद सलार मसूद के अत्याचारों की याद दिलाते हुए पंजाब के राजा रणजीत की दानशीलता का जिक्र किया। काशी विश्वनाथ को पंजाब से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने महाराजा रणजीत के अतीत में मंदिर को सोने से मढ़वाने का जिक्र किया तो औरंगजेब के आतंक और अत्याचार की भी याद दिलाई। 

    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के ठीक पहले काशी विश्वनाथ कारीडोर के लोकापर्ण के बाद वाराणसी में महीने भर तक कई कार्यक्रम चलते रहेंगे। लोकापर्ण के मौके पर भी 11 राज्यों के मुख्यमंत्री और दो मुख्यमंत्री वाराणसी पहुंचे हैं। सोमवार से लेकर मकरसंक्रति 14 जनवरी तक चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में देश के कई बड़े नेता, उद्यमी, विद्वान हिस्सा लेंगे।

     मजदूरों और इंजीनियरों पर फूल बरसाए

    लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री ने कॉरिडोर का निर्माण करने वाले मजदूरों और इंजीनियरों से मुलाकात की और उन पर फूल भी बरसाए। मोदी ने उनके साथ भोजन भी किया। लोकापर्ण कार्यक्रम का देश भर के 30000 के लगभग मंदिरों में सजीव प्रसारण किया गया जहां भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता और कई केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। सजीव प्रसारण के मौके पर गुजरात के सोमनाथ मंदिर में गृह मंत्री अमित शाह तो उज्जैन के महाकाल मंदिर में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद थे।

     काशी के गौरवशाली अतीत का जिक्र

    भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकापर्ण के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने काशी के गौरवशाली अतीत, मंदिर के पुनर्निर्माण और वर्तमान परियोजना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर की आभा बढ़ाने के पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 23 मन सोना चढ़ाया था जो मंदिर के शिखर में जड़ा गया था। उन्होंने कहा कि काशी पर आततायियों ने  आक्रमण किए और इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की। मोदी ने कहा कि  इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहाँ अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। प्रधानमंत्री ने काशी की आध्यत्मिकता का जिक्र करते हुए कहा कि पुराणों के मुताबिक यहां प्रवेश करते हुए व्यक्ति सभी बंधनों से आजाद हो जाता है। उन्होंने कहा कि यहां जिसके हाथ में डमरु है उसी की सरकार है।

     

    पीएम मोदी ने स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भरता का संकल्प मांगा

    पीएम मोदी ने कहा कि वो हर भारतवासी को भगवान मानते हैं और उनसे स्वच्छता, सृजन (इनोवेशन) और आत्मनिर्भरता का संकल्प मांगते हैं। उन्होंने कहा कि यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध को बोध मिला तो समाज सुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी हुए। वाराणसी में ही जगदगुरु शंकराचार्य को श्री डोमराजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली जिसके फलस्वरुप उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधा।

    दीवारों पर पौराणिक और धार्मिक आख्यानों का उल्लेख 

    गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ कारीडोर परियोजना के बाद तंग गलियों में महज 5000 वर्गफीट में बना मंदिर अब पांच लाख वर्गफीट में फैल गया है। यहां 375 वर्गमीटर में बहुउद्देशीय हाल के साथ वाराणसी गैलरी बनायी गयी है जिसके भवन की आंतरिक दीवारों पर पौराणिक व धार्मिक आख्यानों का उल्लेख किया गया है। कारीडोर में ही 1143 वर्गमीटर में सिटी म्यूजियम बनाया गया है तो मृत्यु की कामना से काशीवास करने वालों के लिए मुमुक्षु भवन तैयार किया गया है। सिटी म्यूजियम में प्राचीन काशी के दर्शन होंगे। गंगा घाट से सीधे काशी-विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने के रास्ते में 1061 वर्गमीटर में फैला पर्यटक सुविधा केंद्र भी बनाया गया है।

    गंगा घाट से विश्वनाथ मंदिर जुड़ गया 

    धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजनों, प्रदर्शनियों के लिए 986 वर्गमीटर में वैदिक केंद्र एक अनूठा प्रयोग है तो 1061 वर्गमीटर में फैला पर्यटक सुविधा केंद्र एक अभिनव प्रयोग है। इसी के एक हिस्से में मणिकर्णिका घाट पर यहां वहां बेतरतीब रखी जाने वाली लकड़ियां भी सलीके से दिखेंगी। यह हॉल इस घाट पर आने वाले व्यक्ति के उपयोग के लिए होगा। यह हॉल व्यावसायिक रूप से स्थानीय निवासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। पूरे परिसर में बेल और रुद्राक्ष के पेड़ तो होंगे ही अशोक, नीम और कदंब की भी छाया मिलेगी। सबसे खास ये है कि पहले गंगा घाट से स्नान कर तंग गलियों से होते हुए मंदिर आना होता था। अब गंगा घाट से विश्वनाथ मंदिर जुड़ गया है।