सीएम योगी आदित्यनाथ (Photo Credits-ANI Twitter)
सीएम योगी आदित्यनाथ (Photo Credits-ANI Twitter)

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    लखनऊ: बाबा साहब ने संविधान में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का संदेश दिया, लेकिन कांग्रेस सरकार (Congress Government) ने इमरजेंसी (Emergency) लगाकर संविधान का गला घोंटने का काम किया था। पूरे देश ने इन सबका एकजुट होकर प्रतिकार किया है। पिछली सरकारों ने जिस तरह बाबा साहब के खिलाफ गलत टिप्पणियां की, वह अपने किए की सजा भुगत रहे हैं। भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के 66वें महानिर्वाण दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने संविधान (Constitution) को अपमानित करने पर विपक्षी दलों (Opposition Parties) को जमकर लताड़ा।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को जिन्ना वाले प्रकरण पर कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी विभाजनकारी मंशा के साथ भारत के संविधान और उन महापुरुषों का अपमान करती है, जिन्होंने देश के संविधान के निर्माण में सहयोग किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने संविधान में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का संदेश दिया लेकिन पिछली सरकारों ने संविधान को कुचलने का काम किया। 

    प्रत्येक तबकों तक सभी योजनाओं को पहुंचाने का काम किया

    उन्होंने कहा कि 26 नवम्बर को भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर को ऋद्धाजंलि देने के लिए संविधान दिवस के रूप में मनाता है। हमारी सरकार बाबा साहब की याद में लखनऊ के अन्दर एक स्मारक और सांस्कृतिक केन्द्र बनाने जा रही है। जिसका शिलान्यास राष्ट्पति के द्वारा किया जा चुका है। इसमें हम संविधान पर डिबेट कराएंगे, बाबा साहब का साहित्य भी रखेंगे। यहां पर बाबा साहब पर शोध भी कराया जाएगा। शोध करने वालों को स्कालरशिप के साथ-साथ शोधार्थियों के रहने की व्यवस्था भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस मांग को लेकर दशकों से लड़ रही अम्बेडकर महासभा स्मारक समिति के साथ जुड़कर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा।  उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बाबा साहब को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह पिछली सरकारों ने नहीं दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाबा साहब की भावनाओं के अनुरूप भारत के निर्माण के लिए समाज के प्रत्येक तबकों तक सभी योजनाओं को पहुंचाने का काम किया। 

    समाजवादी पार्टी पर किया हमला

    समाजवादी पार्टी पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा सरकार में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य गरीबों को उनकी जमीनों से बेदखल किया गया। हमारी सरकार ने आते ही कहा था कि ग्रामपंचायत की जमीन पर जिसका मकान बना है उस पर उसको कब्जा दिलाएंगे। घरौनी के माध्यम से हर उस व्यक्ति को जिसने जहां पर मकान या झोपड़ी रख ली है, उसे वहीं पर कब्जा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक 22 लाख लोगों को कब्जा दिया जा चुका है। प्रधानमंत्री ने भी प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के तहत पूरे देश में इस व्यवस्था को लागू किया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने गरीब बच्चों की स्कालरशिप को बंद कर दिया था। हमने अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े हुए गरीब बच्चों को स्कालरशिप देने का काम शुरू किया। अभी 86 लाख बच्चों को स्कालरशिप दी जा रही है। 

    सपा का दलित प्रेम एक धोखा: लालजी प्रसाद निर्मल

    समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को उनकी जमीनें छीनीं और मायावती द्वारा दलित महापुरुषों और गुरुओं के नाम पर स्थापित किए गए जिलों का नाम बदलने जैसे काम किए गए। सपा के इन कृत्यों से उनका दलित हितैषी होने का दावा दलित वर्ग के गले नहीं उतर रहा है। डा. भीमराव अम्बेडकर महासभा ट्रस्ट के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल ने इन आरोपों के जरिए समाजवादी पार्टी पर बड़ा हमला बोला। वह बाबा साहब के 66वें महानिर्वाण दिवस के कार्यक्रम में बोल रहे थे। प्रदेश सरकार के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि सपा ने जिस तरह से दलित महापुरुषों के नाम से बने जिलों के नाम बदलने का काम किया है वह दलित वर्ग के खिलाफ एक साजिश है। सपा का दलित प्रेम एक धोखा है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने तीन नए जिले बनाए थे और इनके समेत आठ जिलों के नाम बदलने का निर्णय लिया था। इनमें प्रबुद्धनगर, पंचशीलनगर और भीमनगर नए थे और रमाबाईनगर, महामायानगर, कांशीरामनगर और छत्रपति शाहूजी महाराज नगर शामिल हैं, लेकिन अखिलेश यादव की सपा सरकार ने इनके नाम बदल दिए। यही नहीं लखनऊ का किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का नाम बदलकर छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय को भी सपा शासन में अखिलेश यादव ने बदलकर पुन: पुराने नाम को बहाल कर दिया। उन्होंने सपा सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि दलित वर्ग सम्मान महसूस कर सके इसके लिए किसी भी प्रख्यात संस्थान को किसी दलित विभूति या चिंतक के नाम पर ही कर देते। लेकिन समाजवादी पार्टी हमेशा दलित वर्ग को उपेक्षा की दृष्टि से देखती है। इसका उदाहरण तब मिला जब बसपा-सपा का गठबंधन हुआ और चुनाव में दलित प्रत्याशियों को सपा वोटरों ने साथ नहीं दिया। दलित पर्यवेक्षकों के अनुसार यह सपा के परंपरागत समर्थकों के दलित विरोध की एक बानगी भर थी। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि सपा के शासनकाल में वरिष्ठ नेता कांशीराम की जयंती पर छुट्टी रद्द की गई थी और मायावती की मूर्ति सहित 24 अन्य विभूतियों की मूर्तियां भी तोड़ी गई थीं।