पौराणिक काशी की पहचान रही गलियां हुई स्मार्ट, PM मोदी कल करेंगे लोकार्पण

    Loading

    वाराणसी: काशी (Kashi) का नाम लेते ही गंगा के साथ यहां की गलियों का भी ज़िक्र होता है। अब क्योटो (Kyoto) के तर्ज पर काशी की गलियां अपने वास्तविक स्वरूप के साथ स्मार्ट हो रही है। री-डेवलपमेंट ऑफ ओल्ड काशी योजना (Re-Development of Old Kashi Scheme) के तहत गलियों के रंग रोगन के साथ हाईटेक (Hightech) भी किया गया है। गलियों की दीवारों पर काशी की संस्कृति के अनुरूप चित्रकारी किया गया है। सीवर ,पानी की निकासी,तारों को अंडरग्राउंड करना जैसे काम गलियों को स्मार्ट बनाने के लिए हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 दिसंबर को 68.24 करोड़  की लागत से पांच वार्डो की गलियों के हुए पुनर्विकास के कामों का उद्धघाटन करेंगे। 

    पौराणिक काशी की पहचान रही गलियां अपने मूल स्वरुप को कायम रखते हुए अब विकसित हो गई है । प्राचीनता को बरक़रार रखते हुए आधुनिकता से तालमेल करके काशी की गालियां स्मार्ट हो गई है। स्मार्ट सिटी के सीजीएम डॉ. डी. वासुदेवन ने बतया कि इन गलियों में अब आप बिना हिचकोले खाए गाड़ियां चला सकते हैं क्योंकि जिस पत्थरों से सड़कें बनाई गई है। उनके नीचे विशेष पीसीसी लेवलिंग की गई है। जिससे सड़क पर बिछाए गए पत्थर (चौका) अब हिलेंगे नहीं। गलियों की सुंदरता में इससे काफी निखार आया है। 

    स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हुआ काम

    स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दशाश्वमेध वार्ड 16.22 करोड़, काल भैरव वार्ड 16.24 करोड़ ,राजमंदिर वार्ड 13.53 करोड़, जंगमबाड़ी वार्ड 12.65 करोड़ में और वीडीए की और से गढ़वासी टोला वार्ड 9.60 करोड़ की लागत से हाई टेक हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 दिसंबर को वाराणसी दौरे में पांचों वार्डो की गलियों के पुनर्विकास के कामों का उद्घाटन करेंगे। 

    सभी तारों को अंडरग्राउंड कर दिया गया

    डॉ. वासुदेवन  ने बताया कि गलियों में सुव्यवस्थित तरीके से पानी और सीवर के लिए पाइप बिछाई गई  है। जिससे और लम्बे समय तक चले। बरसात में पानी न रुके इसके लिए गलियों में पानी निकासी के लिए अलग से नालियां बनाई गई हैं। सभी तारों को अंडरग्राउंड कर दिया गया है। भविष्य में बिजली, इंटरनेट या टेलीफोन केबल आदि की मरम्मत या नई लाइन बिछाने के लिए अलग डक्ट लाइन भी दी गई है।  ताकि गलियों में बिछाए जाने वाले पत्थर चौका को बार-बार उखाड़ना न पड़े। दीवारों पर 2 मीटर तक वॉल पेंटिंग की गई है। चित्रकारी में उस वार्ड या क्षेत्र की विशेषताओं ,संस्कृति, धार्मिक आयोजन आदि को रंगों के माध्यम से दर्शाया जा गया  है। गलियों में पड़ने वाले मंदिर या दूसरे धरोहरों को भी संजोया गया है।