Swami Prasad Maurya
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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: रामचरित मानस पर विवादित बयान के बाद धार्मिक संगठनों और बीजेपी (BJP) के निशाने पर आए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख के बयान से संजीवनी मिली है। संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के जात-पात को पंडितों का बनाया हुआ कहने के बाद अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने धर्माचार्यों को चुनौती दी है। राजधानी लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से रामचरित मानस से दलितों, महिलाओं और पिछड़ों को लेकर लिखी बातों को निकालने की मांग की। उन्होंने कहा कि वो शूद्र हैं इसलिए उनके खिलाफ फरमान जारी कर दिया गया, जबकि संघ प्रमुख मोहन भागवत की कही बातों पर लोग चुप हैं। सपा नेता ने कहा कि संघ प्रमुख ने महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को गाली देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों की कलई खोल दी है। अब तो कम से कम रामचितमानस से आपत्तिजनक टिप्पड़ी हटाने के लिए आगे आएं।

    सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी कहा है कि उन्हें बताना चाहिए कि जाति-वर्ण को लेकर क्या वस्तुस्थिति है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर भागवत का यह बयान मजबूरी का नहीं हैं तो साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर रामचरित मानस से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच अधम कहने और महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को प्रताड़ित, अपमानित करने वाली टिप्पड़ियों को हटवाएं। उन्होंने संघ प्रमुख से कहा कि महज बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नहीं है।

    …तो धर्माचार्य सामने आएं

    स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मानस की कुछ चौपाइयां जिसमें जाति विशेष को नीच कहा गया। महिलाओं को तो नीच से भी नीच बताया गया। उस अंश को निकालने की मांग की तो धर्माचार्य ने बजाय विचार करने के मेरा सिर काटने, हाथ-पैर, नाक, कान और हाथ काटने की सुपारी देना शुरु कर दिया। उन्होंने धर्माचार्यों से कहा कि चूंकि वह शूद्र जाति में पैदा हुए हैं इसलिए उनके खिलाफ इस तरह का फरमान जारी किया गया। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि क्या धर्माचार्यों में हिम्मत है कि वो आरएसएस प्रमुख भागवत के बारे में भी ऐसा कह सकें। उन्होंने कहा कि यदि चाहते हैं कि हिन्दू धर्म सुरक्षित रहे तो धर्माचार्य सामने आएं। मानव कल्याण के विरोध में जो भी कथन हों उसको हटाने का काम करें। संघ प्रमुख के इस बयान के बाद न केवल मानस, बल्कि वेद-पुराण और अन्य सभी पुस्तकें बहस के दायरे में आएंगी।

    हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर कही थी ये बात

    गौरतलब है कि रामचरिच मानस को दकियानूसी ग्रंथ मानते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था इसे या तो प्रतिबंधित करना चहिए या विवादित चौपाइयों को हटाया जाना चाहिए। मौर्य के इस बयान के बाद अयोध्या की हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने उनका सर काटने का फरमान सुनाया था। राजू दास ने कहा था कि मौर्य का सर काटने वाले को वो अपनी ओर से 21 लाख रुपए का पुरस्कार देंगे।