Smart Pre-Paid Meter

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    – राजेश मिश्र

    लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के ऊर्जा क्षेत्र (Power Sector) में दखल बढ़ा रहे अडानी समूह (Adani Group) को बड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश के मध्यांचल (Madhyanchal) में उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर (Smart Prepaid Meter) लगाने संबंधी निविदा को रद्द कर दिया गया है। मध्यांचल में स्मार्ट मीटर के लिए मांगी गई निविदा में सबसे कम बोली अडानी समूह की आई थी और इसे काम मिलना तय माना जा रहा था। अब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने रविवार को अपरिहार्य कारणों का हवाला देते हुए निविदा को रद्द कर दिया है। 

    मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर जिसमें अडानी न्यूनतम निविदादाता थे उसे रद्द कर दिया। अडानी ने प्रति स्मार्ट मीटर करीब 10,000 रुपए की दर से निविदा डाली थी। हालांकि केंद्रीय ऊर्जा विभाग की ओर से स्मार्ट मीटर की अनुमानित लागत 6000 रुपए तय की गई थी। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के टेंडर की लागत लगभग 5400 करोड़ रुपए थी। प्रदेश में मध्याचंल सहित दक्षिणांचल, पूर्वांचल और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगमों में स्मार्ट मीटर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मंगाई गई थी। प्रदेश भर में करीब 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड लगने थे जिनकी लागत 25,000 करोड़ रुपए है। 

    निविदा में अडानी, जीएमआर और इंटेली स्मार्ट ने लिया था

    उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर निविदा में ऊंची दरों को विरोध करते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। सभी वितरण निगमों में स्मार्ट प्रीपेट मीटर के लिए अडानी, जीएमआर और इंटेली स्मार्ट ने निविदा में हिस्सा लिया था। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि लगभग सभी वितरण निगमों में अनुमानित लागत से 48 से 65 फीसदी ज्यादा दरों पर निविदा डाली गई थी। निविदा प्रक्रिया बीते साल नवंबर में पूरी कर ली गई थी पर इस पर कोई अंतिम फैसला अब तक नहीं लिया गया था। उन्होंने कहा कि मध्यांचल के बाद अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर पूर्वांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल में भी निरस्त होने चाहिए। 

    पहले के निविदा को निरस्त कर नए सिरे से काम किया जाए

    वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद ने इसके विरोध में विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी डाली थी और लगातार पावर काररेशन प्रबंधन से इसे निरस्त करने की मांग कर रहा था। परिषद ने प्रधानमंत्री और उर्जा मंत्री से इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग उठाई थी। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर टेंडर की प्रक्रिया को इस तरह से संचालित किया जाए कि निर्माता कंपनियां भी इसमें भाग ले सकें। अभी जो प्रक्रिया अपनाई गई है उसमें मीटर बनाने वाली कंपनियां निविदा में हिस्सा नहीं ले पाई हैं बल्कि बड़े निजी घरानों का ही हस्तक्षेप रहा है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि हाल ही में हुए टेंडर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें गुजरात में 15 से 20 प्रतिशत तक कम आई हैं। इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश में पूर्व की निविदा को निरस्त कर नए सिरे से इसे करना चाहिए।