एसपी सिंह बघेल और अखिलेश यादव (Photo Credits-ANI Twitter)
एसपी सिंह बघेल और अखिलेश यादव (Photo Credits-ANI Twitter)

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    करहल: समाजवादी पार्टी के ‘गढ़’ मैनपुरी स्थित करहल सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के खिलाफ चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल (SP Singh Baghel) का कहना है कि लोकतंत्र में किसी भी क्षेत्र को किसी का ‘गढ़’ नहीं कहा जा सकता क्योंकि दुनिया में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को अपने-अपने तथाकथित किलों में हारते देखा है। 

    उन्होंने दावा किया कि करहल सीट से विधानसभा चुनाव का मुकाबला एकतरफा नहीं है क्योंकि क्षेत्र का दौरा करने पर पता लगता है कि पूरे विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की लहर चल रही है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव से राजनीति का ककहरा सीखने वाले बघेल ने अखिलेश को आजमगढ़ की किसी सीट से अपनी किस्मत आजमाने की सलाह भी दी। ‘पीटीआई भाषा’ से बातचीत में यह पूछे जाने पर कि करहल विधानसभा क्षेत्र हमेशा से सपा का ‘गढ़’ रहा है और क्या वह इस बार तस्वीर को बदल डालेंगे, बघेल ने कहा, “लोकतंत्र में गढ़ या किले जैसी कोई चीज नहीं होती। हमने पूर्व में लोगों के तथाकथित किले ढहते हुए देखे हैं।” 

    उन्होंने कहा, “आपने राहुल गांधी को अमेठी से और ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल से हारते हुए देखा है। इसके अलावा डिंपल यादव फिरोजाबाद और कन्नौज से हार चुकी हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में अक्षय यादव फिरोजाबाद से और धर्मेंद्र यादव बदायूं से पराजित हो चुके हैं।” गौरतलब है कि राहुल गांधी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाने वाली अमेठी से स्मृति ईरानी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा ममता बनर्जी पिछले विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट से पराजित हो गई थीं। 

    करहल से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को चुनौती दे रहे बघेल 31 जनवरी को नामांकन के बाद से भाजपा नेता गोविंद भदोरिया के घिरोर स्थित मकान में रह रहे हैं और वहां उन्होंने अपना चुनाव कार्यालय भी बनाया है। वह अपने प्रचार के लिए सुबह निकल जाते हैं और शाम तक लोगों से संपर्क करते हैं। बघेल का कहना है कि उनका चुनाव प्रचार बहुत अच्छा चल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अखिलेश की पार्टी का कोई व्यक्ति उन्हें ईमानदारी से हालात के बारे में बताए तो सपा अध्यक्ष को आजमगढ़ की किसी सीट से भी नामांकन दाखिल कर देना चाहिए। 

    बघेल ने दावा किया कि उनकी पार्टी (सपा) का कोई भी आदमी यह नहीं कह सकता कि करहल से उनकी जीत पक्की है। कभी सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के सुरक्षाकर्मी रहे पूर्व पुलिस उप निरीक्षक बघेल ने कहा कि अगर सपा अध्यक्ष को लगता है कि करहल से मुकाबला एकतरफा है तो वह अपने परिवार के सदस्यों को यहां चुनाव प्रचार के लिए क्यों भेज रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि करहल में उनके कार्यक्रमों में उमड़ रही भीड़ और मतदाताओं के मिजाज को समझा जा सकता है और इससे पता चलता है कि यहां भाजपा की लहर चल रही है, उनके चुनाव में उतरने के बाद लोगों के सामने विकल्प की कमी नहीं है। 

    बघेल ने कहा, “अखिलेश ने 403 विधानसभा सीटों में से अपने लिए सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली सीट को चुना लेकिन उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि मैं उनके खिलाफ यहां से चुनाव लड़ूंगा।” इस सवाल पर कि करीब 40प्रतिशत यादव मतदाताओं वाले करहल विधानसभा क्षेत्र में उन्हें अपनी दावेदारी को मजबूत लगती है, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इसका मतलब यह है कि 60प्रतिशत मतदाता दूसरी जातियों के हैं। सपा के शासनकाल में जिनकी जमीनों पर अवैध कब्जे किए गए और फिर जिनका सामाजिक तिरस्कार हुआ और अब जिन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है, वे हमें वोट देंगे और हम जीतेंगे।” 

    गौरतलब है कि 3.7 लाख मतदाताओं वाले करहल विधानसभा क्षेत्र में यादव वोटरों की संख्या 1.4 लाख है। इसके अलावा यहां 34 हजार शाक्य और 14 हजार मुस्लिम मतदाता भी हैं। केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि उनके चुनाव मैदान में उतरने से न सिर्फ करहल बल्कि मैनपुरी जिले की अन्य सीटों किशनी, भोगांव तथा मैनपुरी में भी भाजपा मजबूत हुई है। 

    बघेल तीसरी बार मुलायम सिंह यादव परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वह अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और 2014 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट से मुलायम के भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। इन दोनों ही चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। करहल में राज्य विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत आगामी 20 फरवरी को मतदान होगा।