UP विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना बोले- पक्ष और विपक्ष की जो जिम्मेदारी है, वह हमें एकजुटता के साथ निभाना चाहिए

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    लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Legislative Assembly) के अध्यक्ष सतीश महाना (Speaker Satish Mahana) ने कहा है कि सदन (House) के सदस्यों (Members) को क्षेत्र के विकास (Development) और जनसेवा (Public Service) के साथ अपने विशेष योग्यता के उपयोग पर भी काम करना चाहिए। उत्तर प्रदेश विधान सभा के हर सदस्य को अपने अनुभवों का लाभ विधानसभा और जनमानस को देना चाहिए। हम विधायक के रूप में अपने क्षेत्र के लिए और क्या कर सकते हैं। इस बात को सदन में रखने की जरूरत है। महाना ने कहा कि ‘सर्वश्रेष्ठ संसद’ की तरह यू.पी. विधान सभा में ‘सर्वश्रेठ विधायक’ भी चुने जाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह दावा नही करता कि पांच साल में सब कुछ बदल दूंगा परंतु, जो एक लौ जलाई है उसकी रोशनी दूर तक जाएगी।

    विधानसभा अध्यक्ष सतीश माहना ने यह बातें आज शोध उपाधि धारकों और पूर्व शासकीय सेवा में रहे विधायकों के साथ एक बैठक में कही। उन्होंने कहा कि विधानसभा एक परिवार की तरह है। इसमें अच्छे और कुछ कम अच्छे विधायक हो सकते हैं। लेकिन हमें अपने परिवार की तरह सबकी चिंता करनी है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष इससे पहले 40 वर्ष तक के युवा विधायकों, डाक्टर्स, बीबीए एमबीए, सीनियर और महिला विधायकों के साथ समूह बैठकें कर चुके है। उसी श्रंखला में आज उन्होंने यह बैठक आयोजित की थी।

    सदन में चुनकर आए हुए सभी सदस्यों का सम्मान है

    विधानसभा अध्यक्ष ने कहा पक्ष-विपक्ष की जो जिम्मेदारी है। वह हमें एकजुटता के साथ निभाना चाहिए, हम पहले तो एक सदन के सदस्य हैं। हमने महिला विधायकों का जब विशेष सत्र आयोजित किया तो लोकसभा सहित पूरे देश में इसकी चर्चा हुई। आजादी के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रथम बार महिला सदस्यों हेतु विशेष सत्र पर प्रकाशित बुकलेट को अब हम देश की सभी विधान सभा की महिला सदस्यों को भी भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस सदन में चुनकर आए हुए सभी सदस्यों का सम्मान है। विधान सदस्यों को यह नहीं दिखाना है कि कौन कितना बेहतर है बल्कि हम क्या और बेहतर कर सकते हैं। इसपर काम होना चाहिए।

    महाना ने कहा कि समय के के साथ अब इस बात को भी महसूस किया जा रहा है कि विधानसभा नियमावली 1958 में अब बदलाव की जरूरत है। जिस समय नियमावली बनी थी उस समय के कार्य और अब के कार्य व्यवहार में काफी अंतर आया है। इसलिए इसमें संशोधन की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। विधानसभा नियमावली में इस पर 65 साल बाद काम किया जा रहा है। उम्मीद इस बात की है कि नए वर्ष के पहले सत्र में इसे सदन में रखा जा सकेगा। जिस पर परिचर्चा भी कराई जाएगी। विधायक अपनी प्रतिभा से जनता को कैसे लाभ दे सकतें हैं, इस पर काम करने की और जरुरत है। हम पांच साल में उनके हित के लिए अधिक से अधिक विकास कार्य करायें, जिससे जिले में आपकी एक अलग पहचान बनें। साथ ही विधायक इस बात का भी प्रयास करें कि देश और दुनिया में उत्तर प्रदेश की छवि को और कैसे निखारा जा सके।  

    यूपी विधानसभा की चर्चा पूरे देश में हो रही है

    रायबरेली ऊंचाहार के विधायक मनोज पाण्डेय ने अठारहवीं विधानसभा के इस बदलाव के लिए अध्यक्ष विधानसभा सतीश महाना की सराहना करते हुए कहा कि नई परंपरा की शुरुआत कर आपने पूरे सदन को गौरन्वित करने का कार्य किया है। आपके द्वारा समूह बैठकों और महिला विधायकों के लिए आहूत विशेष सत्र की चर्चा पूरे देश में हुई है। अध्यक्ष के जो नई परम्परा डाली है। उससे निश्चित रूप से विधायिका के प्रति नकारात्मक सोच मे बदलाव आएगा। पहली बार इस तरह के प्रयास से लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है। अब यूपी विधानसभा की चर्चा पूरे देश में हो रही है।  

    उन सभी से सहयोग लेकर उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदली जा सकती है

    जनपद बलरामपुर गैसड़ी विधानसभा से निर्वाचित एसपी यादव भी विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा नए प्रयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि न्युटन की तरह ही आप के विचार भीशोध परक है। आप विधानसभा के रिसर्चर है। जनपद देवरिया से निर्वाचित शलभ मणि त्रिपाठी ने विधानसभा अध्यक्ष के नए प्रयोग की सराहना करते हुए कहा कि हम सभी सदस्य जिस भी विशेष योग्यता के साथ आयें हैं। उन सभी से सहयोग लेकर उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदली जा सकती है। उन्होंने कहा कि सदन के सदस्य विधानसभा के बाहर भले ही अलग अलग दलों से हों पर सदन के अंदर हम सबको आईपीएल टीमों के सदस्यों की तरह रोल निभाना चाहिए।  

    असीम अरुण ने कहा कि आजादी के बाद भी सरकारी तंत्र में परिवर्तन न होने के कारण भी दिक्कतें होती है। आजादी के बाद इसे बदलने की जरूरत थी पर इसे बदला नही जा सका। जो भी सरकारें आई। उन्होंने इस तंत्र को बदलने का प्रयास नहीं किया। यूपी में अभी भी सचिवालय कहा जाता है जबकि कई राज्यों में अब इसे मंत्रालय कहा जाने लगा है। इसमें भी बदलाव की जरूरत हैं।

    इस मौके पर आशीष कुमार सिंह आशू, डॉ. मनोज कुमार प्रजापति, ब्रजभूषण राजपूत, डॉ. पल्लवी पटेल, डॉ. अवधेश सिंह, डॉ. नीलकंठ तिवारी, डॉ. अनिल कुमार मौर्य, तेजपाल सिंह नागर, डॉ. डी.सी. बर्मा, साकेन्द्र प्रताप बर्मा, सीताराम बर्मा, श्याम बिहारी लाल, डॉ. आसीम कुमार और डॉ. धर्मपाल सिंह ने भी अपने विचार रखे। इन समूह बैठकों से गौरन्वित महसूस कर रहे हैं। इस अवसर पर विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने धन्यवाद देते हुए कहा कि इस तरह की समूह बैठकों से हम सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।