
लखनऊ. अयोध्या, मथुरा, काशी और प्रयाग जैसे कई धर्मनगरी के प्राचीन गौरव को बहाल करने के प्रयासों को गति देने के बाद योगी सरकार (Yogi Goverment) भारतीय इतिहास की भूल सुधार कार्यक्रम की ओर अग्रसर दिखाई पड़ रही है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की पहल पर उनके सरकारी आवास 5 कालिदास मार्ग में आज माता गुजरी और गुरु गोविंद सिंह के 4 साहबजादे द्वारा राष्ट्र और अपने धर्म के प्रति प्रतिबद्धता की रक्षा करने हेतु दी गई शहादत को स्मरण करने के लिए साहिबजादा दिवस (Sahibzada Day) पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
Lucknow: Chief Minister Yogi Adityanath today attended Gurbani Kirtan at 5, Kalidas Marg on Sahibzada Day.
UP CM observed Sahibzada Day at his official residence to remember the martyrdom of 4 sons of Guru Gobind Singh Maharaj, the tenth Guru of the Sikhs, & Mata Gujri. pic.twitter.com/TAh6NoR3c5
— ANI UP (@ANINewsUP) December 27, 2020
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी (Yogi Adityanath) सहित दोनों उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य (Keshav Maurya) व दिनेश शर्मा (Dinesh Sharma) शामिल हुए। साहिब श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के चार साहबजादे एवं माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित साहिबजादा दिवस पर गुरुवाणी पाठ एवं कीर्तन का आयोजन किया गया है।
गौरतलब है की गुरु गोविंद सिंह साहब का पूरा परिवार भारतीय पंचांग के अनुसार जयपुर से 13 पुस्तक और अंग्रेजी तारीख 21 दिसंबर से 27 दिसंबर तक के इन्हीं 7 दिनों के दौरान शहीद हो गया था सनातन धर्म की रक्षा और राष्ट्र के प्रति अपने समर्पण भाव को अक्षम बनाए रखते हुए नवाब वजीर खान के सारे जुल्म को जेल कर जिंदा दीवार में दफन होने तक भी अपने प्रण पर अडिग रहने के गौरवशाली अतीत की याद में पंजाब और प्रदेश के देश के कई अन्य भागों सहित विदेशों में रहने वाले भारतीय खासकर सिख समुदाय द्वारा इस अवधि को शोक सप्ताह के रूप में मनाया जाता रहा है और इस सप्ताह जमीन पर सोया जाता है।
योगी सरकार ने इसे राष्ट्र के लिए गौरव का विषय बताते हुए शौर्य सप्ताह के रूप में मनाए जाने की नई परंपरा शुरू की है और इस कार्यक्रम का आयोजन मुख्यमंत्री निवास में किया गया है।
साहिबजादा दिवस पर आयोजित गुरबाणी कीर्तन के कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि यह दिन उस अमर बलिदान के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता ज्ञापित करने का दिन है। यह बलिदान वास्तव में भारत को बचाने के लिए दी गई शहादत है। धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए किया गया बलिदान है। जो गुरु गोविंद सिंह जी के साहिब जाधव और माता गुजरी ने नवाब वाजिद खा के दबाव के आगे झुकने से इनकार करते हुए धर्म परिवर्तन करने के बजाए शहीद हो जाना ज्यादा बेहतर समझा। गुरु गोविन्द सिंह जी द्वारा स्थापित परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से इस बात की अपील की कि सिखों का बलिदान इतिहास के पाठयक्रम में शामिल कराया जाना चाहिए। यह एक समृद्धि और महान परम्परा है। प्रत्येक वर्ष 27 दिसंबर को प्रत्येक विद्यालय और विश्व विद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिसमें सिख गुरुओं की त्याग और बलिदान की महान परम्परा के बारे में बताया जाएगा।