CM Yogi Adityanath
File Photo

    Loading

    लखनऊ: इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ (Lucknow Bench of the Allahabad High Court) ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव (Civic Elections) संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए राज्य में नगर निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण (OBC Reservation) के कराने का आदेश दिया। अदालत के इस फैसले के पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि, सरकार पिछड़ों का हक दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी। वहीं, समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर कोर्ट में कमजोर पैरवी करने का आरोप लगाया है।

    यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी कर कहा कि, प्रदेश सरकार नगरीय निकाय चुनाव के लिए आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी। इसके बाद ही निकाय चुनाव सम्पन्न कराया जाएगा। यदि आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी।

    भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक छीना: अखिलेश यादव

    इसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मामले पर ट्वीट करते हुए भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने ट्वीट कर कहा, आज आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक छीना है। कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गए दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी। उन्होंने आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछड़ों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, आरक्षण बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।

    आरक्षण विरोधी मानसिकता को दिखाने वाला फैसला

    मायावती ने भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, यह फैसला भाजपा की आरक्षण विरोधी मानसिकता को दिखाता है। पूर्व सीएम मायावती ने भी इस फैसले पर बयान देते हुए कहा कि, यूपी में बहुप्रतीक्षित निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार के तहत मिलने वाले आरक्षण को लेकर सरकार की कारगुजारी का संज्ञान लेने सम्बंधी माननीय हाईकोर्ट का फैसला सही मायने में भाजपा व उनकी सरकार की ओबीसी एवं आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रकट करता है।

    उन्होंने यह भी कहा कि, यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अनुपालन करते हुए ट्रिपल टेस्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था को समय से निर्धारित करके चुनाव की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाना था, जो सही से नहीं हुआ। इस गलती की सजा ओबीसी समाज बीजेपी को जरूर देगा।

    बिना ओबीसी आरक्षण के कराए नगर निकाय चुनाव 

    गौरतलब है कि उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक पखवाड़े से रुके नगरीय निकाय चुनाव के मुद्दे पर शनिवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और कहा था कि वह 27 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने मुकदमे की प्रकृति के कारण शीतकालीन अवकाश के बावजूद मामले में सुनवाई की। सुनवाई करते हुए लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए राज्य में नगर निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया।