यूपी सरकार राज्य में बीसी-सखियों के लिए खरीदेगी साड़ियां

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    लखनऊ: महिलाओं को सशक्त बनाने और राज्य में हथकरघा बुनकरों के लिए रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करने के दोहरे उद्देश्य को पूरा करते हुए, योगी सरकार बीसी-सखियों को निफ्ट रायबरेली द्वारा डिजाइन की गई  एक लाख से अधिक साड़ियां (Sarees) देगी। हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार बीसी सखी योजना (BC Sakhi Yojana) के तहत काम करने वाली महिलाओं को वर्दी के रूप में दो हैंडलूम साड़ियां उपलब्ध कराएगी। इसके लिए सरकार हैंडलूम बुनकरों द्वारा बनाई गई साड़ियों को खरीदेगी। काम में शामिल बुनकरों को डीबीटी (DBT) के जरिए 750 रुपए प्रति साड़ी मजदूरी दी जाएगी।

    यूपी हैंडलूम के एमडी केपी वर्मा ने बताया कि बीसी-सखी के रूप में काम करने वाली 58,000 महिलाओं में से प्रत्येक को सरकार द्वारा दो साड़ियां दी जाएंगी। निफ्ट द्वारा भेजे गए डिजाइनों को मुख्यमंत्री ने पहले ही मंजूरी दे दी है और साड़ियों की बुनाई का काम प्रगति पर है। प्रत्येक साड़ी की कीमत 1934.15 रुपए और विभाग को 1.16 लाख साड़ी और ड्रेस सामग्री के लिए 22,43,61,400 रुपए की राशि जारी की गई है।

    बुनकरों को रोजगार प्रदान किया गया 

    यूपी हथकरघा विभाग ने इस संबंध में पांच उत्पादक कंपनियों को साड़ियां बनाने का काम सौंपा है जिनमें से 3 वाराणसी जिले से और एक-एक मऊ और आजमगढ़ से हैं। यूपी हथकरघा पहले ही लगभग 537 बुनकरों को 1।20 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुका है और 12,837 से अधिक साड़ियां तैयार हैं। के.पी. वर्मा के अनुसार, “कोविड-19 के कारण प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों के कारण बुनकरों के लिए रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया था। इस योजना के माध्यम से बुनकरों को रोजगार प्रदान किया गया है। साथ ही इस योजना ने बिचौलियों की भूमिका को समाप्त कर दिया है और पैसा सीधे उनके बैंक खाते में स्थानांतरित किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत आने वाले बुनकरों को अधिक से अधिक लाभ मिल रहा है और इसके परिणामस्वरूप अन्य हथकरघा बुनकर भी इस योजना की ओर आकर्षित हो रहे हैं और उत्पादक कंपनियों में अपना नामांकन करा रहे हैं।

    58,000 बीसी सखियों को शामिल करने की घोषणा की थी

     उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्येक मौजूदा ग्राम पंचायत के लिए 21 मई 2020 को  58,000 बीसी सखियों को शामिल करने की घोषणा की थी। बीसी सखियों गांव में लोगों की बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए वन-स्टॉप समाधान उपलब्ध कराती हैं, वह भी घर पर।  महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को बीसी सखियों के रूप में शामिल करने से वित्तीय समावेशन, समय पर पूंजीकरण, एसएचजी लेनदेन के डिजिटलीकरण और समुदाय के समग्र विकास को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। यह महिलाओं की उद्यमशीलता क्षमताओं के निर्माण के उद्देश्य को और मजबूत करता है।