यूपी लोकसभा उपचुनाव – अखिलेश का आत्मविश्वास ले डूबा, सीएम योगी ने कहा कि जनता ने परिवारवादियों को नकारा तो आजम ने लगाये आरोप

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    – राजेश मिश्र

    लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हुए दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) (BJP) ने  समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का सबसे मजबूत किला ढहा दिया। बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल मानी जाने वाली आजमगढ़ (Azamgarh) और रामपुर (Rampur) की सीटों को उसने अपने खाते में दर्ज कर लिया और सपा को पटखनी दे दी है। जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम योगी ने कहा कि जनता ने परिवारवादियों को नकारा तो आजम ने रामपुर में मतदान को लेकर आरोप लगाया। 

    मोदी लहर में भी न जीतने वाली आजमगढ़ सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है तो कद्दावर सपा नेता आजम खान का गढ़ मानी जाने वाली रामपुर सीट भी छीन ली है। हाल ही में संपन्ना विधानसभा चुनावों में सपा ने आजमगढ़ जिले में बीजेपी का सफाया कर दिया और एक भी सीट नहीं जीतने दी थी। हालांकि तीन महीने बाद ही हुए उपचुनाव में बाजी पलट गयी है। 

    आजमगढ़ और रामपुर दोनो लोकसभा सीटें 2019 के चुनाव में सपा ने जीती थी। आजमगढ़ के सांसद खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव थे जिन्होंने बीते दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में करहल, मैनपुरी से जीतने के बाद यहां से इस्तीफा दे दिया था। वहीं रामपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे आजम खान ने भी विधानसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दिया था। 

    सपा के धर्मेंद्र यादव को करीब 20,000 वोटों से हराया

    रामपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार घनश्याम लोधी ने सपा के आसिम राजा को 42,192 वोटों से हरा दिया। आजमगढ़ में भोजपुरी स्टार और  भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई सपा के धर्मेंद्र यादव को करीब 20,000 वोटों से हराया है। इन दोनो ही सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी नहीं खड़े किए थे जबकि बसपा ने रामपुर छोड़ कर केवल आजमगढ़ में चुनाव लड़ा था। आजमगढ़ में तीसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी को करीब ढाई लाख वोट मिले हैं। 

    दोनों ही सीटों पर सपा की हार में बहुजन समाज पार्टी की बड़ी भूमिका नजर आयी। जहां रामपुर में बसपा प्रत्याशी न होने की दशा में ज्यादातर इसके नेता बीजेपी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में जुट गए वहीं आजमगढ़ में अल्पसंख्यक प्रत्याशी उतार कर सपा के परंपरागत वोटों में बंपर सेंधमारी की। आजमगढ़ में बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को बड़ी तादाद में अपनी बिरादरी के वोट भी मिले जिससे सपा को खासा नुकसान हुआ। इतना ही नहीं कांग्रेस के दोनो जगहों पर सपा को वाकओवर देने के बाद भी अखिलेश यादव ने इसके नेताओं से प्रचार के लिए भी नहीं कहा और न ही समर्थन मांगा। 

    दोनो जगहों पर प्रचार के लिए भी नहीं पहुंचे अखिलेश

    पहली बार अपने ही गढ़ में हुयी इस करारी हार के पीछे सपा मुखिया अखिलेश यादव का अति आत्मविश्वास और बसपा की मुस्लिम वोटों में हुयी सेंधमारी को माना जा रहा है। अपनी जीत को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव इस कदर आतमविश्वास से भरे थे कि वह दोनो जगहों पर प्रचार के लिए भी नहीं पहुंचे थे।  खुद के इस्तीफे से खाली की गयी आजमगढ़ सीट पर उपचुनाव में तो कार्यक्रम घोषित होने के बाद भी सपा प्रमुख ने जाना गवारा नहीं समझा था। रामपुर उपचुनाव को भी सपा ने पूरी तरह से आजम खान के भरोसे छोड़ दिया था और वहां तो पार्टी का कोई बड़ा नेता तक प्रचार के लिए नहीं गया था। यहां तक कि उपचुनावों में प्रचार के आखिरी दिन भी अखिलेश यादव वहां जाने के बजाय कन्नौज में अपने एक पुराने कार्यकर्त्ता के घर के कार्यक्रम में चले गए। 

    जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि एक बार फिर नकारात्मक सोच और विध्वंसात्मक गतिविधियों के लिए कुख्यात ताकतों, परिवारवादी ताकतों को स्पष्ट संदेश जनता ने दिया है कि अब परिवारवादियों, जातिवादियों,सांप्रदायिक उन्माद को भड़काने वाली माफिया को प्रश्रय देने वाली पार्टियों को जनता स्वीकार करने वाली नहीं है। 

    उधर लोकसभा के इस उपचुनाव में सपा को मिली हार पर सपा नेता आजम खान ने कहा कि इसे न चुनाव कह सकते हैं न चुनावी नतीजे आना कह सकते हैं।  900 वोट के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ 6 वोट डाले गए और 500 के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ 1 वोट डाला गया जबकि यहां मुस्लिम आबादी थी। जिस तरह से वोट डाले गए, हम अपने प्रत्याशी की जीत मानते हैं।