उत्तर प्रदेश में डेंगू और वायरल बुखार का तांडव जारी, वाराणसी के अस्पताल की OPD में रोजाना आ रहे हैं 400-450 मरीज

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    नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अधिकतर जिलों में वायरल बुखार का तांडव लगातार जारी है। बुखार की बढ़ती संख्या ने सरकार की भी चिंता बढ़ा रखी है। कानपूर, फिरोजाबाद, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज में अस्पतालों की ओपीडी बुखार पीड़ितों से भरी हुई है। इसी बीच वाराणसी के अस्पताल में भी रोजाना ओपीडी में 400-450 मामले सामने आ रहे हैं। 

    बता दें कि शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय जिला चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रसन्न कुमार ने बताया कि वाराणसी में डेंगू और वायरल बुखार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। हमारे OPD में 400-450 मरीज आ रहे हैं जिसमें वायरल बुखार के मामले हैं। डेंगू के 2 वार्ड हैं, डेंगू के 8 मरीज दाखिल हैं। 

    उत्तर प्रदेश में डेंगू और वायरल बुखार का तांडव जारी-

    ज्ञात हो कि राज्य के कुछ जिलों को अगर छोड़ दें तो अन्य जिलों में बड़ी तादात में लोग बुखार की चपेट में आ रहे हैं। जिनमें डेंगू, मलेरिया और स्क्रबटाइफस के अलावा वायरल बुखार के मामलों का समावेश है। बुखार की चपेट में आने वाले करीब 10 प्रतिशत मरीजों की हालत गंभीर स्थिति में देखने को मिल रही है। जिसके कारण उन्हें एडमिट किया जा रहा है।

    मथुरा और फिरोजाबाद से शुरू हुआ बुखार का सिलसिला अब सूबे में फैला-

    उल्लेखनीय है कि राज्य के मथुरा और फिरोजाबाद में शुरू हुए बुखार का सिलसिला अब धीरे-धीरे पुरे प्रदेश में फैल गया है। आलम यह है कि जिलों के अस्पताल बुखार पीड़ित मरीजों से भरे हुए हैं। लगातार बढ़ रहे मामलों में साफ है कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम उतने कारगर नहीं साबित हुए हैं। 

    कानपुर में भी रोजाना सामने आ रहे 300-400 बुखार के मामले-

    वहीँ उत्तर प्रदेश के कानपुर में भी ओपीडी में रोजाना 300 से 400 मामले बुखार पीड़ितों के ही आ रहे हैं। कानपुर की बात करें तो वहां डेंगू के अब तक 61 मामले दर्ज हुए हैं। गोरखपुर में भी रोजाना बुखार से पीड़ित 100 मरीज सामने आ रहे हैं। हालांकि यहां डेंगू, मलेरिया और जापानी इनसेफ्लाइटिस का कोई केस सामने नहीं आया है। 

    गौर हो कि उत्तर प्रदेश में मथुरा, एटा, फिरोजाबाद, मेरठ, प्रयागराज, वाराणसी, फर्रुखाबाद सहित कई जिलों में बच्चे और बड़े बड़ी तादात में इस रहस्यमयी बुखार की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि इसका कोई तोड़ अब तक नहीं निकल पाया है। इस बुखार से दम तोड़ने वालों की भी संख्या अधिक है। राज्य के कई जगहों पर आलम यह है कि बुखार से पीड़ित मरीज झोला छाप डॉक्टरों से इलाज कराने के लिए मजबूर हैं।