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    राजेश मिश्र

    लखनऊ: य़ूपी (UP) की मंडियों में बीते कई दशकों से बिक रही महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक जिले की प्याज के दिन अब लदने वाले हैं। आलू उत्पाद (Nashik District) न में देश भर में सबसे आगे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) अब प्याज (Onion) के मामले में भी आत्मनिर्भर बनेगा। प्रदेश में प्याज का रकबा बढ़ाने और महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आयात को कम करने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल उत्तर प्रदेश प्याज के मामले में इन्ही चार राज्यों से होने वाले आयात पर निर्भर है।

    प्रदेश में प्याज का रकबा बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग ने व्यापक तैयारी शुरु की है। जिसके तहत क्रमबद्ध तरीके से लगातार राज्य में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसकी शुरूआत करते हुए इस खरीफ सीजन में बुंदेलखंड, प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर सहित गंगा के किनारे के उन क्षेत्रों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां बरसात का पानी ना भरता हो। इस संबंध में तैयार की गई योजना के तहत प्याज की खेती करने वाले किसानों को बीज आदि उपलब्ध कराए जाएंगे।

    प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर तक किए जाने की जरूरत

    उद्यान विभाग के निदेशक आर.के. तोमर के मुताबिक, राज्य में हर वर्ष करीब 15 लाख टन प्याज की खपत है, जबकि रबी और खरीफ सीजन में यहां प्याज का कुल उत्पादन 4.70 लाख टन ही हो रहा है। अभी सूबे में 28538 हेक्टेयर जमीन पर प्याज की खेती की जा रही है। सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर तक किए जाने की जरूरत है। जब एक लाख हेक्टेयर जमीन में प्याज की खेती होने लगेगी तब ही सूबे की जरूरत के मुताबिक़ 15 लाख टन प्याज का उत्पादन हो पाएगा।

    इन इलाकों को चिन्हित किया गया

    कृषि विशेषज्ञों तथा उद्यान विभाग के अफसरों की ओर से तैयार कार्ययोजना में हर जिले में उन इलाकों को चिन्हित किया गया है, जहां बरसात में पानी का भराव नहीं होता। इसके तहत गंगा के किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, कौशाम्बी, कानपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा और बुंदेलखंड के जिलों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत खरीफ की सीजन में गंगा के किनारे वाले इन जिलों में प्याज की खेती के रकबे में दो हजार हेक्टेयर का इजाफा करने का फैसला किया गया है। अभी गंगा के किनारे के इन जिलों में 4 हजार हेक्टेयर रकबे में करीब 80 हजार टन प्याज का उत्पादन होता है। इसके अलावा प्याज की खेती करने वाले किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा।

    किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे बीज  

    उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, राज्य में प्याज की फसल बेहतर हो इसके लिए एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर तथा लाइन 883 बीज किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस बीज से बेहतर किस्म का प्याज किसानों को मिलेगा और प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा प्याज की पैदावार होगी। प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए इस प्रयोग को अगले रवी सीजन में भी लागू किया जाएगा, ताकि हर साल प्याज उत्पादन को बढ़ावा मिले।