पैदावार में कमी से इस बार खास बन जाएगा यूपी का आम, बढ़ेंगे दाम

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    लखनऊ : अपने स्वाद से राज करने वाला यूपी का दशहरी (Dussehri), लंगड़ा (Lame), चौसा (Chausa) और सफेदा (Safeda) आम इस बार खास लोगों की ही पहुंच में रहेगा। खराब मौसम (Bad Weather), कीड़ों (Insects) के प्रकोप और आंधी (Storm) के चलते इस बार फलों का राजा (King of Fruits) दशहरी और यूपी के बाकी आम लोगों की जेब पर भारी पड़ेंगे। कोरोना संकट (Corona Crisis) से उबरने के बाद इस बार अच्छे कारोबार (Business) की आस लगाए बैठे आम के कारोबारियों (Traders) की उम्मीदें कमजोर फसल के चलते टूट गयी हैं। 

    आम में भारी गिरावट आई है

    उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र काकोरी-मलिहाबाद (Fruit Belt Area Kakori-Malihabad) में इस बार दशहरी की फसल बीते सालों के मुकाबले कमजोर है। कम पैदावार (Low Yield) के चलते दशहरी के बागों की उठान भी ऊंचे दामों पर हुयी है और तैयार आम भी ज्यादा कीमत पर बिकने का अंदेशा जताया जा रहा है। प्रदेश के आम कारोबारिओं का कहना है कि लगातार कई सालों से अच्छी फसल के बाद इस बार बौर के समय से ही मौसम बिगड़ गया था। नतीजन आम के पेड़ों में बौर भी पहले के मुकाबले कम ही आए और जहां फसल की उम्मीद भी थी वहां कीड़ों ने बरबाद किया। मलिहाबाद के मशहूर बागवान शबीहुल हसन बताते हैं कि इस बार फल पट्टी क्षेत्र में दशहरी के आधे पेड़ों में ही फल लगे हैं। दशहरी के साथ ही इस इलाके के मशहूर चौसा और लखनउवा सफेदा की फसल भी प्रभावित हुयी है। हसन का कहना है कि बीते दो सालों से कोरोना के चलते आम का निर्यात प्रभावित रहा था। विदेशों को जाने वाले दशहरी और अन्य आमों में भी काफी गिरावट आयी थी तो मुंबई और दिल्ली तक पहले के मुकाबले कम ही आम जा पाया था। उनका कहना है कि महामारी के चलते बीते साल तो आम के बाग ही कम बिक पाए थे और अच्छी फसल के बावजूद दाम कम मिले थे। इस बार कोराना संकट नहीं है तो फसल ही कमजोर हुयी है। सामान्य सीजन में 75 फीसदी बाग एडवांस में बिक जाते हैं। फल पट्टी क्षेत्र में बड़े कारोबारी बागवानों से सीधे पूरे बाग की एडवांस में खरीद कर लेते हैं। बाद में फल तोड़ाई और उन्हें बेंचने का काम करते हैं। 

    सामान्य वर्षों में उत्तर प्रदेश से आम का सालना कारोबार 2,400-255 करोड़ रुपये का रहता था जो बीते दो साल कोरोना की भेट चढ़ने के चलते 800 से 1000 करोड़ रुपये के बीच ही रह गया था। इस बार भी कारोबार के समान्य स्तर पर भी पहुंचने की उम्मीद न के बराबर है। राजधानी लखनऊ से सटे फल पट्टी क्षेत्र काकोरी, माल और मलिहाबाद में 27,000 हेक्टेयर में आम की पैदावार होती है। 

    सर्दियों की जल्द विदाई और बौर लगने के समय तापमान बढ़ने से इस बार अकेले दशहरी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में तैयार होने वाले लंगड़ा, चौसा और सफेदा जैसे आमों की फसल भी प्रभावित हुयी है। उपर से होली के बाद से कीड़ों के प्रकोप ने भी फसल के बरबाद करने में कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि हाल के दिनों में आयी आंधी और उसके बाद पानी ने कुछ हद तक कीटों से निपटने में मदद की है, पर काफी तादाद में फसल खराब हो चुकी है। कारोबारियों के मुताबिक इस बार दशहरी के दाम थोक मंडी में 50 से 60 रुपये किलो खुलने की उम्मीद है। खुले बाजार में कीमत और भी ज्यादा हो सकती है।