उत्तर प्रदेश में मनरेगा के तहत महिला स्वयं सहायता समूह 150 हाई-टेक नर्सरी संचालित करेंगे

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    लखनऊ :  बागवानी को बढ़ावा देने और ग्रामीण आजीविका में सुधार के दोहरे उद्देश्य को पूरा करने के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) ने मनरेगा योजना (MNREGA Scheme) के तहत  इज़राइली तकनीक पर आधारित 150 हाई-टेक नर्सरी (Hi-Tech Nursery) स्थापित करने का निर्णय लिया है। इन हाईटेक नर्सरी का संचालन उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं (Women) करेंगी। योजनान्तर्गत प्रत्येक जिले में बेर, अनार, कटहल, नींबू, आम, अमरूद, ड्रैगन-फ्रूट आदि फल और स्थानीय भौगोलिक आवश्यकताओं के अनुरूप अनेक सब्जियां उगाने के लिए दो-दो हाईटेक नर्सरी विकसित की जा रही हैं। 

    सरकार गुणवत्तापूर्ण फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ-साथ हाई-टेक नर्सरी में गुणवत्ता वाले पौधे और बीज विकसित करना चाहती है। सरकार के इस कदम का एक और उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की बढ़ती संख्या के लिए पर्याप्त फसल उपलब्ध कराना भी है। उल्लेखनीय है कि बस्ती और कन्नौज में क्रमशः फलों और सब्जियों के लिए इंडो-इजरायल सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना की गई है, ताकि किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौध मिल सके।

    हाई-टेक नर्सरी की औसत लागत लगभग 1 करोड़ रुपये 

    ये 150 हाई-टेक नर्सरी राज्य के कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों के परिसर, बागवानी विभाग के अनुसंधान केंद्र में स्थापित की जाएंगी ताकि किसानों को आसानी से प्रशिक्षित किया जा सके। उद्यान विभाग के अनुमान के अनुसार प्रत्येक हाई-टेक नर्सरी की औसत लागत लगभग एक करोड़ रुपये होगी। इन नर्सरियों को उचित बाड़, सिंचाई सुविधा, हाई-टेक ग्रीन हाउस जैसी बुनियादी सुविधाओं से लैस किया जाएगा और सीएलएफ (क्लस्टर लेवल फेडरेशन) / राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्य समूहों के माध्यम से इनका रखरखाव किया जाएगा।

    इन नर्सरी से उत्पादित पौधों को इच्छुक स्थानीय किसानों, क्षेत्रीय स्तर पर किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ), राज्य स्तर पर अन्य निजी नर्सरी, राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्य सरकारों और अन्य के पौधरोपण के लिए बेचा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले 5 वर्षों में बागवानी फसलों की खेती के क्षेत्र को 11.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 16 प्रतिशत  करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। ताकि खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को पर्याप्त फल और सब्जियां मिल सकें।