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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 26 मई को अपना सालाना बजट विधानसभा में पेश करेगी।  इस बार प्रदेश के बजट का कुल आकार 6 लाख करोड़ रुपए के आसपास हो सकता है। प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 23 मई से बुलाया गया जिसकी शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से होगी। विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी किए गए कार्यक्रम के मुताबिक, 24 और 25 मई को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के बाद 26 मई को बजट पेश किया जाएगा। चर्चा के बाद 31 मई को बजट मतदान के उपरांत पारित किया जाएगा और इसी दिन विनियोग विधेयक सदन में रखा जाएगा।

    बजट की तैयारियों में जुटे वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार भी बजट का आकार पहले के 5.50 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले 15 से 20 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। बजट में बुनियादी  ढांचे और जनकल्याण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बजट का आकार करीब 6 लाख करोड़ रुपए का हो सकता है। वित्त वर्ष 2021-22 में योगी सरकार ने 550271 करोड़ रुपए बजट पेश किया था। उस वित्त वर्ष में सरकार ने क्रमश 7301.52 करोड़ रुपए और 8479.53 करोड़ रुपए के अनुपूरक बजट भी पेश किए थे।

    संकल्प पत्र में जनता से किए गए वादों पर ख़ास फोकस 

    अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार के बजट में चुनाव के लिए तैयार किए गए संकल्प पत्र में जनता से किए गए वादों पर ख़ास फोकस रहेगा। इस बजट में सरकार ने अपने कर्मचारियों के वेतन के लिए 1.65 लाख करोड़ रुपए की धनराशि की व्यवस्था की है। बजट के जरिए सरकार बुनियादी छांचे के विकास को रफ्तार देने, महिलाओं और युवाओं के साथ ही किसानों के लिए खासी धनराशि के आवंटन के साथ नयी योजनाएं ला सकती है। किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली देने के वादे को पूरा करने के लिए धनराशि का आवंटन करने के साथ ही चुनावी घोषणा पत्र में किए गए हर साल दो मुफ्त गैस सिलेंडर के वादे को पूरा करने के लिए भी पैसों की व्यवस्था की जाएगी।

    शिक्षण संस्थानों पर ख़ास ध्यान 

    इसके साथ ही इस बजट में नये विश्वविद्यालय, नये आईटीआई जैसे शिक्षण संस्थानों पर ख़ास ध्यान रखा जाएगा। वित्त विभाग के मुताबिक, इस बजट से लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को 30,000 करोड़ रुपए और सिंचाई विभाग को 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि का आवंटन होने की उम्मीद है। इसके अलावा कई अन्य कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू कर सकती है। साथ ही उम्मीद की जा रही है कि योगी सरकार अपने इस बजट में आलू, टमाटर और प्याज जैसी फसलें उगाने वाले किसानों के पक्ष में भी फैसला सुना सकती है। संभावना है कि इन फसलों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया जाए।