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कोरोना ने पूरी दुनिया को रोक सा दिया हैं। अगर हम मानव जाती की बात करे तो उनका जीवन जैसे थम सा गया हैं। परंतु इसका बहुत अच्छा प्रभाव हमारी प्रकृति में नज़र आ रहा हैं। हमारी पृथ्वी की महत्वपूर्ण ओज़ोन परत में अपने आप ही सुधार आने लगा हैं। ओज़ोन परत पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो उसे ढकने के साथ-साथ जलवायु परिस्थितियों सहित समुद्री धाराओं को संतुलित रखने में मदद करती हैं। 

पृथ्वी के आसपास की ओज़ोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी(Ultraviolet) किरणों को अवशोषित(Absorbed) करने में मदद करती है और इसे सीधे पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से रोकती है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में मानव की गतिविधियों ने परत में कई छेद कर दिए है। लेकिन कोरोना की वजह से लोग अब प्रकृति को नुकसान नहीं पंहुचा पा रहे हैं। फलस्वरूप उसमे सुधार देखने को मिला हैं। 

वैज्ञानिकों के अनुसार ओज़ोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान अंटार्कटिका के ऊपर हो रहा था लेकिन अब इसमें सुधार देखा गया है। नेचर में प्रकाशित ताजा शोध के मुताबिक जो केमिकल ओज़ोन परत को नुकसान पंहुचा रहा हैं, उनके उत्सर्जन में कमी आई है इसलिए सुधार नज़र आ रहा हैं।

1987 में हुई मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल संधि में इस केमिकल्स के उत्पादन पर बैन लगाया गया था। इन कैमिकल्स को ओज़ोन डिप्लीटिंग पदार्थ (ODS) कहा जाता है। इसी के कम होने से सकारात्मक वायु संचार बना है जिसका असर एंटार्टिका के ऊपर वाले वायुमंडल के हिस्से में हुआ है।

फिर भी अध्ययन में यह उल्लेख किया गया है कि चूंकि ओज़ोन परत ने अब खुद को ठीक करना शुरू कर दिया है, इसलिए देशों को कार्बन फुट प्रिंट को कम करने के लिए ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों के उत्सर्जन को कम करने की ओर अधिक मजबूत कदम उठाने चाहिए।