मानव के बालों से रौशन होंगे इलेक्ट्रॉनिक साधन

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ऑस्ट्रेलिया में हो रहा है अनुसंधान

सोनार कर रहे विदेश में देश का नाम रोशन

मानव के बालों को एल ई डी स्क्रीन जैसे इस्तेमाल करने का आविष्कार प्रो. डा. प्रशांत सोनार ने किया है. वे साक्री के भूमिपुत्र हैं, लेकिन वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के क्विसलैंड विश्वविद्यालय में एसोशिएट प्रोफेसर हैं. हालांकि उनका ये आविष्कार अभी प्रयोगात्मक स्तर पर है. प्रो. सोनार के पीएचडी के शिष्य अमनदीप उन्हीं के मार्गदर्शन पर इस आश्चर्यजनक अनुसंधान योजना पर कार्य कर रहे हैं. जैसा हम टीवी के ओलेड (ओएलईडी) स्क्रीन जानते हैं. जो रौशनी देनेवाले डायोड से जलते हैं. वैसे ही इंसानी बाल इलेक्ट्रॉनिक साधनों को रौशन कर सकेंगे. इस तरह का शोध कार्य सोनार कर रहे हैं. यदि सफल होता है तो पूरे देश में भारत का नाम सोनार के माध्यम से रोशन होगा.

प्रो.डा. प्रशांत साक्री शहर के निवासी हैं. किंतु फिलहाल ब्रिस्बेन (ऑस्ट्रेलिया) में क्वीन्सलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी पॉलीमर रसायन विज्ञान के जाने माने वैज्ञानिक भी हैं. प्रो. सोनार के शिष्यों के साथ ग्रिफिथ और क्वीन्सलैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस योजना पर कार्य कर रहे हैं. कचरे का हिस्सा बने मानवी बालों पर वैज्ञानिक सोनार ने अनुसंधान किया है.जिसमें बहुत ही सूक्ष्म (नैनो) बिंदुओं में लेकर उसके भीतर बिजली प्रवाहित की गई.तो छोटे सूक्ष्म बिंदु नीली रौशनी लिए जल उठें. लचीली पट्टी (फ़िल्म)पर बालों के बिंदु को रख कर शोध किया गया तो वह फ़िल्म के पर्दे जैसा रौशन हो गए. 

डायोड जैसे हैं इंसान के बाल

नवभारत से बात करते हुए वैज्ञानिक सोनार ने कहा है कि ये प्राकृतिक केश-बिंदु  डायोड जैसे ही है. अभी नीली रौशनी मिली है.अधिकतर उपयोग होने वाली हरी और लाल रौशनी पाने और भी प्रयोग अपेक्षित है. इस प्रयोग से वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ा है. अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में इन प्राकृतिक डायोड का प्रयोग हो सकता है. ये बिंदु मोबाइल या टीवी के पर्दे को रौशन करने वाले डायोड से कम रौशन होते हैं. जहां ध्यानाकर्षण के लिए पर्याप्त किंतु कम ही रौशनी की जरूरत हो. ऐसे  खाद्य वस्तु की पैकिंग उत्पादों के बाहर सूचना, एक्सपायरी डेट, उत्पादों के घटक की जानकारी देने के काम मे लाया जा सकता हैं. वैज्ञानिक इनके इस्तेमाल के कई रास्ते और अन्य फायदे ढूंढनें में लगे है.