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मुंबई: भारत धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग (Electronics Manufacturing) का बड़ा बाजार बनता जा रहा है। खासतौर पर मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग में भारत (India) ने अपना दबदबा बना लिया है। कोरोना (Corona) के बाद चीन की कई कंपनियों ने अपने कारोबार और फैक्ट्रियां समेट ली हैं। इंडोनेशिया, मलेशिया के बाद इन कंपनियों ने भारत को तरजीह दी है। Apple जैसे ब्रांड भी देश में आ चुके हैं। उन्होंने देश में आईफोन बनाना शुरू कर दिया है।

 120 करोड़ लोगों के पास कोई न कोई  है मोबाइल फोन

देश के 120 करोड़ लोगों के पास कोई न कोई मोबाइल फोन है। यही कारण है कि इलेक्ट्रॉनिक कचरा (Electronic Waste) भारत के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज के दावे के मुताबिक जल्द ही देश में व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी (Scrap Policy) की तर्ज पर मोबाइल स्क्रैप पॉलिसी पेश की जा सकती है। इंडियन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IEEMA) के प्रेसिडेंट और बिड़ला कॉपर (Hindalco Industries) के सीईओ रोहित पाठक ने यह जानकारी दी। फिलहाल वाहनों के लिए स्क्रैप पॉलिसी है। आने वाले समय में मोबाइल फोन (Mobile Phone) के लिए भी स्क्रैप पॉलिसी होगी, स्क्रैप में मोबाइल फोन जमा करने पर भी विशेष छूट दी जाएगी। इसलिए वर्तमान में यूज़र्स को जो नुकसान हो रहा है पर अब ऐसा नहीं होगा।

इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को फेंकने की बजाय करेंगे कलेक्ट 

साथ ही यह नीति इस उद्योग में एक आत्म-अनुशासन लाएगी। देश में पहले से ही ई-कचरा नीति है। इस ढांचे को समर्थन देने की जरूरत है। इस पॉलिसी को आगे बढ़ाने से काफी फायदा हो सकता है। एक बार ई-कचरे के इर्द-गिर्द आर्थिक मॉडल विकसित हो जाने के बाद, लोग अपने ई-कचरे का स्वयं ही आदान-प्रदान करेंगे। वे अपना फोन नहीं फेंकेंगे। या बैटरियों को सड़क पर नहीं फेंका जाएगा। कंपनियां आने वाले वर्षों में ईपीआर पर ध्यान केंद्रित करेंगी। इसलिए लोग इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को फेंकने की बजाय उसे कलेक्ट करेंगे, उसे कबाड़ में फेंक दिया जाएगा।