Pic Credit : Google
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    हमारे देश में ऐसे कई युवा हैं जो टेक्नोलॉजी में देश का नाम आगे बढ़ाने के लिए महनत कर रहे हैं। इसका एक उदहारण हैं मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले 26 वर्षीय चिराग जैन। चिराग IIT ग्रेजुएट हैं। दो साल पहले उन्होंने चार लोगों के साथ मिलकर EndureAir नाम से एक स्टार्टअप (Startup) शुरू किया। इसके साथ ही चिराग और उनके मित्र कई नामी कंपनियों के साथ भी काम कर रहे हैं। EndureAir ड्रोन डिजाइनिंग (Designing) से लेकर उसकी मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) पर काम करता है। EndureAir अभी तक 25 से ज्यादा ड्रोन बना चुका है, जबकि 8 ड्रोन कमर्शियली सेल कर चुका है। इस स्टार्टअप की अहम बात यह है कि इसमें R&D और मैन्युफैक्चरिंग का काम भारत में ही होता है।  यह ड्रोन 5 किलोग्राम तक का वजन उठाकर 100 किमी तक की दूरी तय कर सकता है। मुश्किल हालातों में इस ड्रोन को परखने के लिए लद्दाख और पोखरण में भी इसका टेस्ट किया जा चुका है।

    USA की यूनिवर्सिटी में हुआ था सिलेक्शन

    चिराग ने बताया कि इस बीच मुझे USA की यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड (University Of Maryland) से मास्टर्स में सिलेक्शन हो गया, लेकिन मैंने सोचा कि बाहर जाने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि बाहर जाकर पढ़ाई करके जो काम मैं 6 साल बाद शुरू करने वाला था, वो अभी ही करने का मौका मिल रहा था। इसके बाद मैंने यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड की अपनी इंजीनियरिंग की सीट छोड़ दी। 2018 में चिराग ने IITकानपुर (IIT Kanpur) में ही मास्टर्स में एडमिशन ले लिया और साथ ही साथ अपनी कॉलेज के दो एसोसिएट प्रोफेसर (Associate Professor) और एक और साथी के साथ मिलकर EndureAir स्टार्टअप की शुरुआत की।

    उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा में ऐसे हुआ ड्रोन का इस्तमाल 

    आपको बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा के दौरान भी इस ड्रोन का इस्तमाल किया गया था। इस ड्रोन से ही कई लोगों की मदद की गई थी। डीआरडीओ (DRDO), झेन टेक्नोलॉजीज (Zen Technologies), देल्हिवेरी (Delhivery) जैसी नामी कंपनियों के लिए ड्रोन बनाकर यह स्टार्टअप साल 2019-2020 में एक करोड़ रुपए का रेवेन्यू जेनरेट कर चुका है। EndureAir के को-फाउंडर चिराग जैन ने बताया कि इसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद के अधीन अग्नि कार्यालय और NDRF की ओर से बुलाया गया था। इसके बाद हमारी टीम कई ड्रोन के साथ उत्तराखंड पहुंची। हमने सबसे पहले सुरंग में छोटा ड्रोन भेजा और लोकेशन के साथ फोटो कंट्रोल रूम में आती गई। इसकी मदद से NDRF की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन चलाती रही।

    कैंपस प्लेसमेंट में ऑफर हुआ था 10 लाख का सालाना पैकेज

    चिराग ने बताया कि ‘इंजीनियरिंग में भी मेरा खास लगाव एयरोस्पेस में था। हवा में उड़ने वाली और अंतरिक्ष (Space) में भेजे जाने वाले रॉकेट(Rocket), सैटेलाइट (Satallite) से हमेशा मेरा लगाव रहा है। कॉलेज के दौरान ही मैंने ड्रोन का काम शुरू किया था। मुझे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) में ही डीप रिसर्च करनी थी, क्योंकि यह बहुत ही क्रिटिकल टेक्नोलॉजी होती है और ये देश के विकास में भी अहम रोल निभाती है। बी।टेक (B।Tech) के दौरान जब कैंपस प्लेसमेंट (Campus Placement) हुआ तो मैं उसमें बैठा, दो कंपनियों में मेरा सलेक्शन भी हो गया, लेकिन मैंने 10 लाख रुपए के सालाना पैकेज वाली नौकरी के ऑफर को छोड़ दिया।’

    एक बटन दबाते ही हो जाएगा काम 

    चिराग ने कहा कि ‘हम जो ड्रोन तैयार करते हैं, वो 40 किलोमीटर तक दुर्गम पहाड़ियों या स्थानों पर 4 किलोग्राम (4Kg) वजन तक का सामान डिलीवर कर सकता है। हमने दो प्रोडक्ट पर काम किया है, पहला हेलीकॉप्टर ड्रोन (Helicopter Drone) है जोकि 4 किलोग्राम का वजन उठाकर दो घंटे की उड़ान भर सकता है। इस ड्रोन को कंट्रोल (Control) करने की जरूरत नहीं बस एक बार लोकेशन फीड (Feed Location) करिए, बटन दबाइए और वो अपना काम करके वापस आ जाएगा।’