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    दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुर्वे के मुताबिक़ देर तक ऑफ़िस का काम करने के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है। हालाँकि पहली बार विश्व स्तर पर की गई इस स्टडी के मुताबिक़ साल 2022 में लंबे समय तक ऑफ़िस का काम करने के कारण स्ट्रोक और दिल की बीमारी से 7 लाख 45 हज़ार लोगों की मौत हो गई। WHO का कहना है कि कोरोना मारामारी के कारण हालात और ख़राब हो गए हैं। रिसर्च में पाया गया है कि हर हफ़्ते 35 से 40 घंटे काम करने की तुलना में हर हफ़्ते में 55 घंटे से अधिक काम करने से ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) का ख़तरा 35 % बढ़ जाता है और दिल की बीमारी (Heart Attack) से मरने का ख़तरा 17 % बढ़ जाता है।

    घर से काम करने की व्यवस्था बना  कारण 

    अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (आईएलओ) के साथ मिलकर कराई की गई इस स्टडी में पाया गया है मरने वालों में एक तिहाई बूढ़े या मध्यम आयु वर्ग के लोग थे। ज़्यादातर मौतें उस दौर से कई सालों या दशकों के बाद हुईं, जब वो व्यक्ति काफ़ी देर तक काम करता था।  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि घर से काम ( Work From Home) करने की व्यवस्था और आर्थिक मंदी के कारण भी लोग लंबे समय तक काम कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ ज़्यादा देर तक काम करना काम से जुड़े तनाव का एक तिहाई हिस्सा है।

     दिमाग़ पर काम के तनाव का असर 

    ये इसे काम के कारण होने वाले तनाव का सबसे बड़ा कारण बना देता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक़ देर तक काम करने के कारण दो मुख्य समस्याएँ सामने आतीं हैं पहला सीधे आपके दिमाग़ पर तनाव का असर और दूसरा ज़्यादा देर तक काम करने के कारण तंबाकू, शराब जैसे नशे की लत लगना, कम सोना, व्यायाम नहीं करना और अच्छा खाना नहीं खाना जैसी समस्याएँ होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुझाव दिया है कि कंपनियों को अपने यहाँ काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य और काम के कारण उनके स्वास्थ्य पर होने वाले असर के बारे सोचना चाहिए।