3 बच्चों के साथ 18 दिनों तक घर के बाहर रही महिला

  • पुलिस और पत्रकारों के हस्तक्षेप से मिला न्याय

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कल्याण. घर में चल रही कलह की वजह से एक महिला को उसके सास ससुर तथा पति ने घर से बाहर निकाल दिया, जिसके कारण पिछले 18 दिनों से पीड़ित महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ घर के बाहर ही डेरा डाल दिया। बच्चों और महिला के घर के बाहर बैठे रहने के बाद भी जब ससुराल वालों का दिल नहीं पसीजा तो स्थानीय पत्रकार, महिला मंडल और कोलसेवाड़ी पुलिस के हस्तक्षेप से आख़िरककार अब महिला को घर में जगह मिल गई है। पुलिस ने महिला का उसका सामान घर रखवाया है.

घटना कल्याण पूर्व हाजी मलंग रोड स्थित शास्त्रीनगर की है, जहां पर मंजू यादव को घरेलू विवाद कर चलते उसके ससुर नंदलाल यादव तथा पति दिलीप यादव ने घर से बाहर निकाल दिया था। उसके ससुर नंदलाल का कहना है कि बहू मंजू यादव पूरे परिजनों के साथ मारपीट करती है तथा सभी को मानसिक प्रताड़ना देती है, जिसकी वजह से पूरा परिवार कष्ट में था, जिसकी वजह से उन्हें उसे घर से बाहर निकालना पड़ा। वहीं पीड़ित महिला मंजू का कहना है कि उसका पति दिलीप दूसरी शादी करना चाहता है, इसकी वजह से उसे घर से निकाला गया।

इस मामले में यह भी ज्ञात हुआ है कि परिवार और उनकी बहू मंजू यादव के बीच इलाहाबाद कोर्ट में मामला चल रहा था तथा उसके ससुर व पति ने वहां पर सुलहनामे में लिखा कि मंजू को सही तरीके से अपने साथ घर में रखेंगे, लेकिन कल्याण आने पर कुछ साल तक साथ रखने के बाद उसे अपने घर से निकाल कर किराए के मकान में रख दिया, जहां से भी उसे 18 दिनों पूर्व  निकाल दिया गया और जब वह अपने घर वापस आयी तो उसे सास, ससुर और पति ने दरवाजा बंद कर उन्हें घर के अंदर नहीं लिया। तभी से वह 14 साल की एक बेटी, 9 साल और 5 साल के दो बेटों यानी तीन बच्चों के साथ  घर के बाहर ही रहने बैठ गई। पुलिस में शिकायत भी की थी और न्याय नहीं मिलने पर कल्याण मनपा मुख्यालय स्थित पत्रकार कक्ष में पत्रकारों से मदद करने की अपील की, जिसके बाद पत्रकारों ने पुलिस से उसे न्याय दिलाने को कहा और इसी बीच सूचना मिलने पर कुछ महिला मंडल की महिलाएं भी पुलिस कोलसेवाड़ी स्टेशन पहुंच गई। यादव परिवार के दोनों पक्षों को बुलवाकर सुलह करायी और महिला व बच्चों को सास-ससुर के साथ  घर में रखवाया। कोलसेवाड़ी पुलिस के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शाहूराजे सालवे के मार्गदर्शन में डी.पी. पुलिसकर्मी नीलेश कांगने तथा अशोक आसान की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिनके अथक प्रयासों के बाद परिजन बहू मंजू यादव और उसके तीन बच्चों को साथ रखने को तैयार हुए।