ऐश्वर्या के ‘जुगनू’ ने जीता विश्व फोटोग्राफी अवार्ड

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नवी मुंबई. पनवेल के खांदा कालोनी की एक बेटी ने अपनी फोटोग्राफी के जरिए दुनिया के नामचीन फोटोग्राफरों ने अपनी नयी पहचान बना ली है. ऐश्वर्या श्रीधर ने इन्टरनेशनल फोटोग्राफी प्रतियोगिता में हाइली कमेंडेड अवार्ड पाकर अपनी नयी पहचान कायम कर ली है. यह पुरस्कार उनकी फोटोग्राफी जूगनू के लिए प्रदान किया गया है. ऐश्वर्या ने लंदन में आयोजित 56वें वाइल्ड लाईफ फोटोग्राफर ऑफ द ईयर काम्प्टीशन में कुल 3 फोटग्राफ भेजे थे, जिसमें से आसमान में तारे और जमीन पर जूगून दिखाने वाले फोटोग्राफ को बीहैवियर इन्वर्टीब्रेट कटैगिरी के अंतर्गत एडल्ट कटैगिरी में उन्हें यह हाइली कमेंडेड अवार्ड मिला है.

भंडारदरा के जंगलों ने दिलायी शोहरत

नवभारत संवाददाता से बात करते हुए युवा फोटोग्राफर ऐश्वर्या श्रीधर ने बताया कि बचपन से ही उन्हें वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफी का शौक था. पिता श्रीधर से उन्हें प्रेरणा मिली. फिर उसे कैरियर के रुप में आगे बढ़ाने में जुट गयी. जूगनू फोटोग्राफ जून 2019 में महाराष्ट्र के भंडारदरा के जंगलों में खींची गयी ऐसी तस्वीर है जिसने वैश्विक स्तर पर आज पहचान दिला दी है. उन्होंने कहा कि हमें एक कैम्प के जरिए पता चला था कि भंडारदरा में लाखों जूगनू जमा होंगे. इसकी खोज में वहां गयी और ऐसी तस्वीर खींची जिसमें आसमान में तारे  और जमीन पर चमकते हुए जूगनू साथ साथ दिख रहे हैं. फोटोग्राफी कान्प्टीशन में दुनिया भर के 50 हजार फोटोग्राफरों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से भारत के 8 फोटोग्राफरों को पुरस्कार मिला है जिनमें से महाराष्ट्र के नवी मुंबई की ऐश्वर्या श्रीधर भी एक हैं.  

बंदरों पर बनाऊंगी डाक्यूमेंट्रीः ऐश्वर्या

पिता से प्रेरित होकर फोटोग्राफी में कैरियर बना रही ऐश्वर्या कहती हैं कि फोटोग्राफी की शुरुआत पनवेल की हरियाली से हुई और फिर नवी मुंबई, रायगड़ और महाराष्ट्र के अन्य ठिकानों पर जा जाकर फोटोग्राफी करती रही. बेहद चुनौती भरी कठिनाईयों से जूझते हुए यहां तक पहुंची हूं. लेकिन दुनिया के नामचीन फोटोग्राफरों के बीच नाम आने से बेहद खुश हूं और माता पिता तथा ईश्वर का आभार मानती हूं जिनके आशीष से यह सफलता मिली. भविष्य में बंदरों के जीवन पर डाक्यूमेंट्री बनाना चाहती हूं. इसके लिए उत्तर भारत के असम, मणिपुर और मेघालय जाना चाहती हूं.