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बौद्ध और दलित समाज ने जताया विरोध, पुनर्वसन की मांग

नवी मुंबई. उलवे पहाड़ियों के बीच स्थित ढ़ाई हजार साल पुरानी बुद्ध गुफा एयरपोर्ट निर्माण के दौरान ध्वस्त हो रही है. दरअसल उलवे की जिस पहाड़ी में यह बौद्ध गुफा है उस पहाड़ी को ब्लास्टिंग के जरिए तोड़ा जा रहा है ताकि एयरपोर्ट का रनवे बन सके. इससे पुरातन बुद्ध गुफा का अस्तित्व खतरे में आ गया है. इससे बौद्ध अनुयायी और दलित समाज विरोध में आ गए हैं. नवी मुंबई के पूर्व महापौर सुधाकर सोनावणे ने कि कहा कि जिस गुफा को पुर्तगीज और अंग्रेजों ने नहीं तोड़ा सिडको उस गुफा को ब्लास्ट कर तोड़ने में जुटी है. सुधाकर सोनावणे ने कहा कि यह पवित्र और पुरातन विरासत सिर्फ दलितों और बौद्धों की नहीं बल्कि सभी भारतीयों की है इसलिए हमें इसे बचाने के लिए आगे आना चाहिए.

2013 में पुरातत्व विभाग ने किया था दौरा

बता दें कि उलवे पहाड़ी पर वाघिवली गांव के नजदीक स्थित यह बौद्ध गुफा बांबे गजट और ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी दर्ज है. वर्ष 2013 में पुरातत्व विभाग अधिकारियों ने यहां भेंट देकर इस पुरातन बुद्ध गुफा को संरक्षित करने का निर्देश दिया था. लेकिन आज संरक्षण की बजाय उसके विनाश की तैयारी है. बताना जरूरी है कि इससे पहले नवी मुंबई एयरपोर्ट निर्माण के दौरान सिडको उलवे नदी और दर्जनों पुरातन मंदिरों को हटा चुकी है. हालांकि कुछएक का पुनर्वसन भी हुआ है, मांग है कि बुद्ध गुफा का भी पुनवर्सन होना चाहिए.