ठाणे. ब्रिटीशकाल (British Era) में 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर (Boribandar) वर्तमान में CSTM से ठाणे (Thane) तक देश की पहली रेलवे ट्रेन (First Railway Train) चली थी। उस समय पहली बार भाफ से दौड़े पहली इंजन का जतन ठाणे रेलवे स्टेशन (Thane Railway Station) पर किया जा रहा है। इस इंजन का जतन किए जाने को लेकर ठाणे के कई जनप्रतिनिधियों द्वारा मांग की जा रही थी। जनप्रतिनिधियों की मांगों पर गंभीरता दिखाते हुए भाफ से चालित रेलवे इंजन को ठाणे रेलवे स्टेशन में संभाल कर रखे जाने का निर्णय रेलवे प्रशासन ने लिया था। वहीं जनप्रतिनिधियों का कहना है कि रेलवे इंजन के बाद शहर में स्थित और भी ऐतिहासिक वस्तुओं को संभालकर रखे जाने पर वे जोर देंगे।
ज्ञात हो कि एशिया में पहली रेलवे 168 साल पहले 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर से ठाणे के बीच चली थी। उस समय ट्रेन में कुल 400 यात्रियों से सफर किया था। भाप पर चलने वाली देश की इस पहली ट्रेन ने दोनों स्टेशनों के बीच का सफर एक घंटे 15 मिनट में तय किया था। हालांकि समय बीतने के साथ धीरे-धीरे ठाणे रेलवे स्टेशन का विस्तार होता गया। वर्तमान समय में ठाणे रेलवे स्टेशन पर कुल 11 प्लेटफॉर्म हैं। यहां से मध्य रेलवे और ट्रांस हार्बर मार्ग पर प्रतिदिन लाखों सवारी अपने-अपने गंतव्य स्थानों तक जाते हैं।
ठाणे रेलवे प्रवासी संघ ने की थी मांग
ठाणे रेलवे स्टेशन की ऐतिहासिक छवि को देखते हुए ठाणे रेलवे प्रवासी संघ द्वारा मांग हो रही थी कि भाप पर चलने वाली देश की पहली रेलवे इंजन ठाणे रेलवे स्टेशन पर लाया जाए और यहीं पर इसका जतन हो। इसके साथ ही ब्रिटीशकालीन रेलवे इंजन का जतन ठाणे रेलवे पर किए जाने को लेकर रेल मंत्रालय से लगातार पत्राचार शुरू हुआ। इस पर तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने गंभीरता दिखाई और आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया था। फरवरी 2021 में रेल मंत्री से मुलाकात कर इस पर विचार किए जाने की मांग की गई थी, जिस पर रेल मंत्री ने सकारात्मकता दिखाई थी। इसके तहत ऐतिहासिक रेलवे इंजन को ठाणे रेलवे स्टेशन में रखने के लिए मध्य रेलवे के विभागीय प्रबंधक ने जगह निश्चित किया। साथ ही निश्चित जगह पर उसे लाकर रख दिया गया है। इस सफलता के बाद ठाणे के जनप्रनिधियों ने कहा कि शहर में स्थित टाऊन हॉल,अशोक स्तंभ आदि विभिन्न वास्तुओं का जतन किए जाने पर जोर दिए जाने की मांग होगी।