अनलॉक-2 में नागरिक चाहते हैं अधिक छूट

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चाय की दुकान, स्त्री करने वाले, धार्मिक स्थल के साथ कार्यालय में 80 फीसदी की छूट की मांग 

ठाणे. ठाणे जिला वैसे देश की आर्थिक नगरी मुंबई का पड़ोसी जिला है. यहां पर अधिकांश नागरिक सिर्फ रात को सोने के लिए ही आते हैं. दिन में मुंबई और आसपास के उपनगरों में अपनी रोजी-रोटी के लिए निकल पड़ते हैं. लेकिन कोरोना जैसे वैश्विक महामारी ने इनकी आर्थिक कमर तोड़ रख दिया है. करीब ढाई माह के बाद एक जून से राज्य सरकार ने ‘मिशन बिगिन अगेन’ यानी ‘फिर से 1 जून से शुरुआत की थी और इसे फिर 5 जून और आठ जून को कुछ मामलों में छूट अवश्य दी. लेकिन आज भी नागरिकों के सबसे जरुरी चींजों में चाय की दुकान, सैलून, कपड़ों की धुलाई और स्त्री करने, मंदिरों में जाकर पूजा करने के साथ-साथ नौकरी करने के लिए जो ठाणे करों का सबसे अभिन्न अंग है, वह लोकल ट्रेनों की आवाजाही को शत प्रतिशत नहीं शुरू  की है. अब ऐसे में ठाणे जिले में भी लॉकडाउन-5 को 30 जून को ख़त्म होने और अनलॉक-2 के शुरू होने पर एक जुलाई से लोगों ने सरकार से अधिक अपेक्षा है. जबकि नागरिक सिनेमा हॉल, स्वीमिंग पुल और विवाह कार्यालय सहित अन्य गैदरिंग वाले प्रतिष्ठानों को अभी भी शुरू करने के पक्ष ने नहीं है. 

इन चींजों को मिल चुकी है मंजूरी 

वैसे अनलॉक में जिन सेवाओं और व्यवसायों को शुरू करने की इजाजत दी गई है, उन्हें शुरू करने के लिए अलग से या कहीं और से अनुमति की जरूरत नहीं पड़ने वाली है. लेकिन रेड जोन में भी धीरे-धीरे चरणबद्ध रूप से पाबंदियों में रियायतें दिया जा सकता है. 

हालांकि मार्केट एरिया, दुकान ऑड-ईवन के तहत खुल चुकी है. लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा. शॉपिंग मॉल और सिनेमा हॉल जैसी जगहों को खोलने की अनुमति अभी भी नहीं है. परन्तु  ऑटो रिक्शा, कैब, टैक्सी सीमित यात्रियों के साथ चल रही है.

निजी कार्यालय में मिले अधिक छूट -अंकित इंद्रेश राय 

हलांकि अनलॉक-1 में तीसरे फेज की शुरुआत 8 जून से शुरू गई थी और इसमें निजी ऑफिस 10 फीसदी कर्मचारियों के साथ खुलने की अनुमति दी गई थी. परन्तु अब इसे 50 से 80 फीसदी कर्मचारियों के साथ शुरू करने की मांग उठ रही है. इस संदर्भ मेंसेक्योर 24 गार्डनिंग सर्विसेस के संचालक अंकित इंद्रेश राय कहना है कि अधिकांश कर्मचारी वैसे भी कोरोना के संक्रमण काल में अपने मूल गाँव चले गए हैं. लेकिन अब जो भी बचे हैं उनसे काम चलाना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार को अनलॉक-2 में कम-से-कम 50  फीसदी से अधिक कर्मचारियों के साथ कार्यालय खोलने की अनुमति देना चाहिए. जिससे आर्थिक पटरी को फिर सुधारा जा सकें. 

बसों, ट्रेनों का संचालन में आये तेजी 

वैसे अनलॉक के पहले चरण में 50 फीसदी प्रवासियों के साथ बस चलाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन अब इसे भी बढ़ाने की मांग उठ रही है. इसके आलावा मुंबई और ठाणे की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों का संचालन नियमित किया जाना चाहिए. साथ ही एक पैसेंजर ट्रेन, धार्मिक स्थल, कोचिंग क्लासेस, जिम, सलून, कपड़ों की धुलाई और प्रेस करने वाली दुकानों के साथ-साथ मनुष्य के दैनिक जरूरतों से जुड़ी दुकानों को खोलने की मांग भी ऑनलॉक-2 में उठ रही है. 

वैसे ऑनलॉक-1 में कई दुकानें और अन्य जरुरी सामानों के दूकान व रिक्शा और टैक्सी सीमित प्रवासियों के साथ खुल गई है. लेकिन अनलॉक-2 में मुख्यतः सैलून, कपड़ों की धुलाई और प्रेस करने वाली धोबी की दुकान और चाय की दुकानों को खोलने की अनुमति मिलनी चाहिए. ये सभी गर्म बस्तुओं से ताल्लुकात रखते हैं. लेकिन ठण्ड पेय और आइसक्रीम सहित अन्य ठण्ड वस्तुओं से ताल्लुकात रखने वाले दुकानों को संक्रमण खत्म होने के बाद मंजूरी दिया जाना चाहिए.

-रवि सिंह (ब्रह्माण्ड निवासी, ठाणे) 

लोकल ट्रेनों को अब चालना चाहिए. क्योंकि आम नौकरी पेशा करने वाले नागरिकों को यात्रा संबधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसमें महिला कर्मचारियों को काफी दिक्क्तें आ रही है.

-हर्षिता जाधव (शांति नगर, ठाणे) 

सरकार को अब मध्यम वर्गीय लोगों को इस दूसरे चरण के अनलॉक में अधिक राहत देना चाहिए. क्योंकि यह वर्ग पूरी यारह से टूट गया और निराश है. यदि सरकार समय पर नहीं चेती तो यह वर्ग कोरोना से बाद में मरेगा लेकिन भूख से पहले ही डीएम तोड़ देगा. इसलिए व्यवसायिक प्रतिष्ठान के साथ-साथ अन्य संस्थानों में फूल फ्लैश के साथ काम करने की अनुमति देना चाहिए। लेकिन शैक्षिणिक संस्थानों को बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जब तक कोरोना का टिका नहीं आता तब तक बंद रखना चाहिए.

– दुर्गा प्रसाद पांडेय (निवासी-मोहन पार्क, खड़क पाड़ा, कल्याण) 

अनलॉक-2 में भले ही कोचिंग क्लासेस को चलाने की अनुमति न मिले, लेकिन सभी सामान्य क्लासेस को लघु उद्द्योग का दर्जा देकर उसे आर्थिक पैकेज सरकार को देना चाहिए. जिसके तहत वह अपने क्लासेस को पुनः संचालित कर पाए. क्लासेस शुरू होने तक उनके कर्ज के हफ्ते न भरने पड़े और उनपर ब्याज न लगें. स्कूल शुरू होने पर क्लासेस को भी शुरू करने की अनुमति मिले.

-विनय सिंह (सदस्य- कोचिंग क्लासेस संचालक संघटना -महाराष्ट्र)