लॉक डाउन के नियमों की भिवंडी में उड़ रही है धज्जियां

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भिवंडी की सड़कों पर दौड़ रहे हैं ऑटो रिक्शा, ट्रक, टेम्पो

भिवंडी. लॉक डाउन के चौथे चरण में ईद के त्यौहार का फायदा उठाकर सैकड़ों ऑटो रिक्शा वाले चोरी छिपे शहर में ऑटो रिक्शा चला कर अपनी कमाई शुरू कर दी है. शहर में लॉक डाउन की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है .लॉक डाउन नियम का पालन करके ऑटो रिक्शा बंद कर बेरोजगारी के कारण भुखमरी और बर्बादी का दंश झेल रहे मजबूर ऑटो रिक्शा चालकों और मालिकों ने इस तरह चोरी-छिपे रिक्शा चलाने वालों के विरुद्ध कड़ी पुलिसिया कार्रवाई किए जाने की मांग की है.

गौरतलब हो कि वैश्विक महामारी कोरोना को रोकने के लिए पूरे देश में 25 मार्च से लॉक डाउन घोषित किया गया है. अति आवश्यक सेवा के वाहनों को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के वाहनों को सड़क पर चलने की अनुमति नहीं है, लेकिन भिवंडी में लॉक डाउन 4 में ईद के त्यौहार का फायदा उठाकर कई ऑटो रिक्शा चालको ने अपने ऑटो रिक्शा चोरी छिपे उस एरिया में चला रहे हैं, जहां पर पुलिस की नाकाबंदी या 24 घंटे पुलिस बंदोबस्त नहीं रहता है. पुलिस की चोरी से ऑटो रिक्शा चलाने वाले रिक्शा चालक शहर की मुख्य सड़कों को छोड़कर घनी बस्ती वाले तथा झोपड़पट्टी इलाके वाले क्षेत्रों में चोरी छिपे रिक्शा चलाकर अपनी कमाई शुरू कर दिए हैं जिससे लाक डाउन के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं. बावजूद जो ऑटो रिक्शा वाले लॉक डाउन के नियमों का कड़ाई से पालन कर अपना ऑटो रिक्शा बंद कर बेरोजगार हो गए हैं, बैंकों की ईएमआई नहीं भर पा रहे हैं और जिन्हें परिवार चलाना दूभर हो गया है ऐसे ईमानदार ऑटोरिक्शा चालकों ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि, जो भी चोरी-छिपे ऑटो रिक्शा चलाकर अपनी कमाई का धंधा शुरू कर दिया है उन पर कार्रवाई करें या फिर सभी ऑटो रिक्शा चालकों को सड़क पर रिक्शा चलाने का परमिशन दें.

भिवंडी में खुलेआम दौड़ रहे वाहन

भिवंडी शहर में लॉक डाउन 4 के बाद सड़कों पर चलने वाले वाहनों की संख्या में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है. पुलिस सड़कों पर चल रहे वाहनों की चेकिंग लगभग बंद सी कर दी है. पहले पुलिस शहर में जगह-जगह नाकेबंदी कर सभी वाहनों की चेकिंग करती थी और वाहन चालको को दंड लगाने तथा वाहन जप्त करने जैसे दंड, उठक बैठक कराती थी. पुलिस की कड़ाई से लोगों में घर से बाहर निकलने का भय व्याप्त रहता था, लेकिन अब लोगों के अंदर पुलिसिया जैसे डर नाम की चीज ही नहीं रह गई है.वाहन चालकों में से 10 फीसदी ऐसे लोग होते हैं जो किसी आवश्यक कार्य से मजबूरी में घर से निकलते हैं बाकी ज्यादातर युवा वर्ग केवल  सैरसपाटा करने के लिए वाहन से शहर का चक्कर लगाते दिखाई पड़ते हैं.