डायरेक्ट पोर्ट एंट्री सुविधा से JNPT में एक्सपोर्ट कारोबार सुगम

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नवी मुंबई. जेएनपीटी में डायरेक्ट पोर्ट एन्ट्री सुविधा से कारोबारियों को बड़ा लाभ होने लगा है. इससे एक्सपोर्ट के लिए कस्टम एजेंट की जरूरत कम होने लगी है. कारोबारी और एक्सपोर्टर अपने कन्साईनमेंट भेजने के लिए आनलाईन आवेदन कर पा रहे हैं और त्वरित चालान सुविधा मिल जाने से समय और पैसों की बचत होने लगी है. केन्द्रीय जहाजरानी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मांडविया ने वीओ चिदंबरनार बंदरगाह पर डायरेक्ट पोर्ट एन्ट्री सुविधा का आनलाईन लोकार्पण करते हुए कहा कि डीपीई सुविधा कारोबारी सुगमता तथा अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी लाने, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और विदेशों में माल भेजने की प्रक्रिया को गति देने की दिशा में उठाया गया उल्लेखनीय कदम है. मांडविया ने कहा कि यह बंदरगाहों से निर्यात खेप भेजने और निर्यातकों के काम में दक्षता आएगी, सामान भेजने पर खर्च कम होगा साथ ही अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अधिक प्रतिस्‍पर्धी हो सकेंगे.

सीएफएस के दखल के बिना निर्यात

बता दें कि अत्याधुनिक डायरेक्ट पोर्ट एंट्री (डीपीई) सुविधा बीच में किसी भी सीएफएस के दखल के बिना निर्यातकों को कारखानों से अपने कंटेनरों को सीधे बंदरगाहों पर कंटेनर टर्मिनल पर चौबीस घंटे भेजने की सुविधा उपलब्‍ध कराती है. यह सुविधा ट्रक पार्किंग टर्मिनल के अंदर 18,357 वर्गमीटर के क्षेत्र में बनाई गई है, जिसे कारखानों से सील होकर आए निर्यात के सामानों से भरे कंटेनरों को सीमा शुल्‍क निकासी सुविधा के लिए ‘सागरमाला’ योजना के तहत विकसित किया गया है. इसमें प्रति माह 18,000 टीईयू कंटेनर को वहन करने की क्षमता है. डीपीई सुविधा के तहत केंद्रीय भंडारण निगम के माध्यम से भारतीय सीमा शुल्क विभाग एक ही छत के नीचे निर्यातकों को एलईओ भी उपलब्‍ध कराता है.

सीएफएस दिलवाते थे एन्ट्री परमिशन

इससे पहले कारखानों से सील बंद कंटेनरों को पहले कंटेनर फ्रेट स्टेशनों (सीएफएस)/इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) में से एक में ले जाया जाता था. ये स्‍टेशन सीएफएस केवल कार्य दिवसों में सुबह 10 से रात 8 बजे तक ही काम करते थे. इसकी वजह से कंटेनरों को कंटेनर टर्मिनलों में अंदर आने की अनुमति देने में काफी देरी होती थी. इस असुविधा को देखते हुए ही बंदरगाह में 24×7 के आधार पर ई-सील कंटेनरों की जल्‍दी निकासी को सक्षम करने के लिए डीपीई सुविधा विकसित की गयी.