विद्यालय बंद पर शिक्षा शुरू

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  • मनपा संचालित स्कूलों के शिक्षक वर्ग भी निभा रहे है अपनी जिम्मेदारी

उल्हासनगर. वैश्विक बीमारी कोरोना के कारण 15 मार्च को अचानक ही शासन के आदेश पर देशभर के सभी विद्यालय बंद हो गए. इसमें उल्हासनगर का भी समावेश था और 22 मार्च से देशभर में लॉकडाउन हो गया. ऐसी परिस्थिति का सामना करना सभी वर्गों के लिए मुश्किल था. शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय संस्थानों द्वारा चलाए जाने वाले निजी क्षेत्र के स्कूलों की तर्ज पर  उल्हासनगर मनपा संचालित स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाएं भी पीछे नहीं रहे. मनपा के शाला क्रमांक 25 ने भी इस स्थिति का डटकर मुकाबला किया. जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान नहीं हुआ. वैसे कहा और माना जाता है कि सरकारी या फिर नगर पालिका और मनपा के स्कूलों में गरीब तबके के बच्चे ही अधिक मात्रा में पढ़ते है. 

व्हाट्सएप ग्रुप बनाया 

उनके अभिभावकों के पास कंप्यूटर, लेपटॉप तथा एंड्रॉइड जैसी आधुनिक सुविधा नहीं होती है, लेकिन मनपा स्कूल क्रमांक-25 की प्रिंसिपल गार्गी चतुर्वेदी ने मनपा कमिश्नर, शिक्षा अधिकारी के मार्गदर्शन में व अपने स्टॉफ के अन्य सदस्यों के सहयोग से जून माह में ही विद्यालय के प्रत्येक कक्षा का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था जिसमें करीब 73 फीसदी छात्रों का समावेश रहा. अन्य छात्रों के साधारण मोबाइल नंबर थे जो हमने सेव कर लिए थे. ऑन लाइन शिक्षा के संदर्भ में नवभारत से बातचीत करते हुए मनपा स्कूल नंबर 25 की प्रिंसिपल गार्गी चतुर्वेदी ने बताया कि जैसे ही लॉकडाउन हुआ, हमने व्हाट्सएप ग्रुप और मोबाइल के माध्यम से पालकों से तुरंत संपर्क किया क्योंकि हमारे अधिकांश पालक उत्तर प्रदेश या बिहार राज्य से है अतः उनका स्थलांतर रोकना अत्यंत आवश्यक था. 

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

चतुर्वेदी के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से हमने उन्हें राशन इत्यादि की मदद की. अब दूसरी सबसे आवश्यक जिम्मेदारी थी, बच्चों की शिक्षा में रुकावट नहीं आने देना.अतः हमारे विद्यालय के सभी शिक्षकों ने कमर कस ली और विद्यालय में जाकर शैक्षणिक साधनों की मदद से पढ़ाई के वीडियो बनाकर व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर करने लगे. बच्चों ने वीडियो और फोटो देख कर पढ़ाई शुरु कर दी. अब शिक्षकों ने तकनीकी शिक्षा सीखकर काइन मास्टर, ट्वीनक्राफ्ट, स्कूम्पा वीडियो, फोटो स्टूडियो और पावर डायरेक्टर इन एप्स के माध्यम से आकर्षक वीडियो बनाना शुरू किया. जिसे देखकर विद्यार्थी पढ़ाई में रुचि लेने लगे और इस तरह से विद्यालय बंद है, लेकिन शिक्षा शुरू है रुकावटें बहुत है. स्कूल में लगभग 220 बच्चें पढ़ते है और इनके लिए 8 स्टॉफ है. अत्यंत विषम परिस्थितियों में बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के मुद्दे पर गार्गी चतुर्वेदी ने कहा कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.