परिसर के लोग मनपा के विरुद्ध उतरे सड़क पर
ठाणे. कोरोना कोविड 19 से ग्रसित मरीज अस्पताल से पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर लौट कर मरीज 15 दिनों तक नियमानुसार क्वारन्टीन हो गया, लेकिन इस मरीज के साथ इसके संपर्क में आने वाले नागरिकों को मनपा के अधिकारी फिर से क्वारन्टीन सेंटर ले जाने के लिए धमक पड़े. जिसके कारण मनपा अधिकारियों और नागरिकों के बीच नोंकझोंक का मामला सामने आया है.
स्थानिक नगरसेवक कृष्णा पाटिल की मध्यस्थता के बाद मामला शांत हुआ. लेकिन पाटिल ने मनपा के इस कदम को खेदजनक करार देते हुए कहा कि जब कोई मरीज कोरोना पॉजिटिव आने के बाद खुद ठीक होकर और 15 दिनों बाद घर आ चुका है तो ऐसे में फिर से उसे और उसके संपर्क में आने वालों को क्वारन्टीन के लिए प्रशासन की तरफ से जबरजस्ती करना समझ से परे है. प्रशासन के अधिकारियों को पहले सारी जानकारी इकट्ठा कर लेना चाहिए था. दरसअल मामला ठाणे के गोकुल नगर का है. जहां पर ठाणे मनपा के सहायक आयुक्त शंकर पाटोले दो बस और स्वास्थ्य विभाग के टीम के साथ अचानक गोकुल नगर पहुंचे. परिसर का जो व्यक्ति इस महामारी से ग्रसित था, उसके आस पास के लोगों को घोडबंदर रोड स्थित भायंदरपाड़ा के क्वारन्टीन सेंटर ले जाने की प्रक्रिया शुरू थी.
नागरिकों के भीतर मनपा के इस घिनौने करतूत को देखकर रोष व्याप्त हो गया. इसकी जानकारी मिलते ही स्थानिक नगरसेवक कृष्णा पाटिल तुरंत मौके पर पहुंचकर जानकारी ली और मनपा के अधिकारी नगरसेवक को विश्वास में नहीं लेकर जबरजस्ती क्वारन्टीन ले जाने की बात को पूछा. राहिवासियों ने बिना किसी लक्षण के क्वारन्टीन सेंटर जाने के लिए सीधे इंकार कर दिया. इसके अलावा नागरिकों ने क्वारन्टीन सेंटर को सुविधा विहीन होने कहा. नागरिकों ने आरोप लगाया कि पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति भी यदि मनपा के सेंटर में जाता है वह इस बीमारी का शिकार हो जाता है.